ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी और विदेश मंत्री हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियन की हेलीकॉप्टर क्रैश में मौत हो गई है। रईसी ईरान के राष्ट्रपति होने के साथ साथ अगला सुप्रीम लीडर बनने की दौड़ में भी शामिल थे। रईसी 2021 में ईरान के राष्ट्रपति बनने से पहले भी कई अहम पदों पर रहे। इस दौरान उनके साथ कई विवाद भी जुड़े। खासतौर से आंदोलनों और विरोधियों को बेरहमी से कुचलने के आरोप उन पर लगे। घरेलू राजनीति में रईसी को हार्ड लाइन पोजीशन लेने के लिए जाना जाता था। रईसी ने हसन रूहानी के बाद ईरान के राष्ट्रपति का पद संभाला था। रूहानी को उदारवादी नेता के तौर पर देखा जाता था लेकिन रईसी उनके उलट रहे। 
एक रिपोर्ट के मुताबिक रईसी ईरान के उन राजनेताओं में शामिल हैं, जिनके इशारे पर देश में दमन की दो सबसे कठोर कार्रवाईयां हुईं। रईसी के राष्ट्रपति बनने के बाद ईरान में महिलाओं की पोशाक और व्यवहार को प्रतिबंधित करने वाले कानून लाए गए। ईरान के हिजाब कानून में सख्ती की गई। इसका काफी विरोध भी हुआ। सितंबर 2022 में महिलाओं की ड्रेस से जुड़े नियमों का उल्लंघन करने के आरोप में गिरफ्तार महिला महसा अमिनी की हिरासत में मौत के बाद ईरान में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए। ये 1979 की इस्लामी क्रांति के बाद ईरान में सबसे बड़े विरोध प्रदर्शन थे। इन प्रदर्शनों के दौरान सैकड़ों लोग मारे गए। इस दौरान रईसी ने काफी आक्रामक रुख अपनाया और प्रदर्शनकारियों पर हुई भीषण कार्रवाई करते हुए आंदोलन को कुचला गया। 
रईसी को 'तेहरान का कसाई' क्यों कहा गया?
इब्राहिम रईसी ईरान के निर्वासित विपक्ष और मानवाधिकार समूहों पर काफी आक्रामक रहे। रईसी का नाम 1988 में मार्क्सवादियों और वामपंथियों की सामूहिक फांसी का कारण बना। उस समय रईसी तेहरान में रिवोल्यूशनरी कोर्ट के उप अभियोजक थे। एमनेस्टी इंटरनेशनल की एक रिपोर्ट के अनुसार ईरान में 'डेथ केमेटी' के रूप में जानी जाने वाली जांच समितियों की स्थापना की गई थी। इसमें धार्मिक न्यायाधीश, अभियोजक और खुफिया मंत्रालय के अधिकारी शामिल थे। इन समितियों ने मनमाने ढंग से हजारों बंदियों को मौत की सजा सुना दी गई। एमनेस्टी का दावा है कि इन समितियों ने पांच हजार से ज्यादा लोदगों को मौत की सजा दी। साल 1988 की सामूहिक फांसी के बाद ही रईसी को 'द बुचर ऑफ तेहरान' कहा गया था। 
इब्राहिम रईसी ईरान की छवि कट्टरपंथी अभियोजक के बाद समझौता न करने वाले राष्ट्रपति की रही। सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खुमैनी के करीबी रईसी अक्सर ही अमेरिका और इजरायल पर हमलावर रहते थे। रईसी 'गंभीर मानवाधिकार उल्लंघनों' में संलिप्तता के लिए वाशिंगटन की प्रतिबंधात्मक काली सूची में थे। वह ईरान की परमाणु ताकत को बढ़ाने के लिए भी मुखर रहे। अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद उन्होंने इसमें प्रगति की।
-Legend News

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