रिपोर्ट : LegendNews
कौन थे मतंग ऋषि, उनका आश्रम कहाँ था?
मतंग रामायण कालीन एक ऋषि थे, जो शबरी के गुरु थे। यह एक ब्राह्मणी के गर्भ से उत्पन्न एक नापित के पुत्र थे। ब्राह्मणी के पति ने इन्हें अपने पुत्र के समान ही पाला था। गर्दभी के साथ संवाद से जब इन्हें यह विदित हुआ कि मैं ब्राह्मण पुत्र नहीं हूँ, तब इन्होंने ब्राह्मणत्व प्राप्त करने के लिए घोर तप किया। इन्द्र के वरदान से मतंग 'छन्दोदेव' के नाम से प्रसिद्ध हुए। रामायण के अनुसार ऋष्यमूक पर्वत के निकट इनका आश्रम था, जहाँ श्रीराम गए थे।
मान्यता है कि दक्षिण भारत में प्राचीन विजयनगर साम्राज्य के विरुपाक्ष मंदिर से कुछ ही दूरी पर स्थित पर्वत को उस काल में ऋष्यमूक कहा जाता था और यही रामायण काल का ऋष्यमूक पर्वत है।
श्री रामचरितमानस में भी महाकवि तुलसीदास ने मतंग ऋषि के जिस आश्रम का वर्णन किया गया है उसकी स्थिति ऋष्यमूक पर्वत पर बताई है। शबरी ऋषि मतंग की शिष्या थी और श्री राम की भक्त थी। ऋषि मतंग ने उसे आशीर्वाद दिया था की उससे भगवान राम सदेह स्वयं मिलेंगे। इसी क्षण की प्रतीक्षा करते हुए और राम राम स्मरण करते हुए शबरी बहुत समय भक्ति करई रही। शबरीमला केरल का तीर्थ हि शबरी माला आश्रय स्थल था। शबरी को परम भक्त माना गया है। उसने चख चख कर राम को मीठे बेर खिलाये थे जो उसने रामजी के लिए ही जंगल से इकट्ठे करे थे, उसको सद्गति और वैकुण्ठ धाम मिला था।
ऋषि मतंग का आश्रम जिस ऋष्यमूक पर्वत पर था वह आजकल का हम्पी शहर है। कर्नाटक प्रान्त में है। यहीं पर हनुमान जी का प्राचीन मंदिर है तथा अंजना माता मंदिर भी है. वहां पर ही वानरराज बाली का राज था. वानर राज बाली इस स्थान पर नहीं आ सकता था. उसे ऋषि मतंग ने श्राप दिया था। उससे अपनी रक्षा हेतु सुग्रीव इसी मतंग ऋषि के आश्रम के आसपास ही रहता था. यहीं श्री राम से सुग्रीव की भेंट हुई थी. यहीं पर वानरराज बाली को मारने की योजना सुग्रीव नर श्रीराम के साथ बनाई थी। यहीं पर सर्पाकार स्थिति में सात ताड़ के वृक्ष थे जिन्हें जो भी एक ही बार में भेद दे वही बाली का वध कर सकता था।
राम जी ने बाली वध उपरांत यहीं रहकर सुग्रीव को राजा बनाकर चातुर्मास व्यतीत किया, उनको चौदह वर्ष के वनवास के दौरान किसी भीबस्ती में नहीं रहना था, अतः उन्होंने वनवास का यह समय मतंग ऋषि आश्रम के आसपास ही काटा।
- Legend News
Recent Comments
Parshuram alias Pradip Dattatray Waghmare
2024-08-20 04:38:00
Really it's good to know that Matang or Mang caste belongs to Matang Rushi who was a son of Brahman lady. Today the actual identity of this caste is spoiled by the upper caste and ofcourse it's very sad that they called Dalits which feels like badword .very happy to know Matang Rushi was a part Ramayan, Shriram .
Satish Khandagale
2024-11-20 07:28:34
Jay ho matang rishi jay hanuman