नई द‍िल्ली। नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (NCBI) की रिपोर्ट के मुताबिक अर्जुन की छाल में संभावित कार्डियोप्रोटेक्टिव एजेंट होते हैं. 

दिल को बीमारियों से बचाने में इस छाल का कई तरह से इस्तेमाल होता रहा है. इस छाल के फायदों का जिक्र चरक संहिता, सुश्रुत संहिता और अस्टांग हृदयम सहित कई प्राचीन भारतीय औषधीय ग्रंथों में किया गया है. इनमें बताया गया है कि अर्जुन की छाल का पाउडर हार्ट डिजीज से राहत दिलाने में उपयोग किया जाता रहा है. मॉडर्न साइंस ने भी इस छाल को औषधीय गुणों से भरपूर माना है और इसे हार्ट समेत कई बीमारियों में लाभकारी बताया है. शोधकर्ताओं की मानें तो अर्जुन के पेड़ की छाल का काढ़ा सदियों से सीने में दर्द, हाई ब्लड प्रेशर, कंजेस्टिव हार्ट फेलियर और डिस्लिपिडेमिया के लिए किया जा रहा है.

कई रिसर्च में यह पता चला है कि अर्जुन की छाल में एंटी-इस्केमिक, एंटीऑक्सिडेंट, हाइपोलिपिडेमिक और एंटीथेरोजेनिक गुण होते हैं. इस छाल में ट्राइटरपेनोइड्स, β-सिटोस्टेरॉल, फ्लेवोनोइड्स और ग्लाइकोसाइड्स जैसे पावरफुल फाइटोकॉन्स्टिट्यूएंट्स होते हैं. इसमें पाए जाने वाले ट्राइटरपेनोइड्स और फ्लेवोनोइड्स को हार्ट हेल्थ के लिए लाभकारी माना जाता है. अर्जुन की छाल को दवा के तौर पर इस्तेमाल करने से इस्केमिक कार्डियोमायोपैथी पर सकारात्मक असर हो सकता है. इस छाल को एनजाइना पेक्टोरिस, हाई ब्लड प्रेशर और डिस्लिपिडेमिया में काफी उपयोगी पाया गया है. वैज्ञानिकों का मानना है कि अर्जुन की छाल को फ्रैक्चर, अल्सर, ल्यूकोरिया, डायबिटीज, एनीमिया, कार्डियोपैथी और सिरोसिस से राहत दिला सकती है. हालांकि इस बारे में ज्यादा रिसर्च की जरूरत है.
Compiled: Legend News

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