बांग्लादेश के मोंगला पोर्ट पर ड्रैगन की निगाहें टिकी हुई हैं। वो लगातार इस बंदरगाह में अपना मुंह घुसाना चाहता है। हालांकि, उसके इन प्रयासों पर भारत ने लगाम लगाने वाला दांव चल दिया है। भारत ने बांग्लादेश में मोंगला बंदरगाह के संचालन और वहां एक नए टर्मिनल के निर्माण में अपना इंटरेस्ट दिखाया है। भारत के पास पहले से ही ईरान में चाबहार बंदरगाह और म्यांमार में सित्तवे बंदरगाह के ऑपरेशनल अधिकार हैं। एशिया महाद्वीप में हो रहे इस घटनाक्रम से परिचित लोगों के अनुसार अगर यह कदम सफल होता है, तो ये भारत के लिए बड़ी रणनीतिक कामयाबी होगी।
मोंगला पोर्ट पर भारत की नजर
मोंगला पोर्ट के संचालन से भारत अपने पड़ोसी चीन की बढ़ती रणनीतिक उपस्थिति का मुकाबला करने में और सक्षम हो जाएगा। इसके साथ ही हिंद महासागर क्षेत्र के पश्चिमी और पूर्वी दोनों हिस्सों में बंदरगाहों का प्रबंधन करने में मदद मिलेगी। यह मामला दोनों देशों की पार्टनरशिप में मील का पत्थर साबित हो सकता है, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वीकेंड में बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना से मुलाकात करेंगे। वहीं इस महीने के अंत में या जुलाई की शुरुआत में बांग्लादेश की प्रधानमंत्री भारत की राजकीय यात्रा पर आने की योजना बना रही हैं। हसीना ने मंगलवार रात को ही बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए की लोकसभा चुनावों में लगातार तीसरी जीत के बाद पीएम मोदी को बधाई दी। 
मोदी 3.0 सरकार के शपथ में आएंगी बांग्लादेश पीएम
उधर, चीन भी हसीना से आग्रह कर रहा है कि वे अपने यात्रा कार्यक्रम में बीजिंग को भी शामिल करें। हालांकि, बांग्लादेश की पीएम अपनी भारत यात्रा से पहले यह यात्रा करने की इच्छुक नहीं हैं। मोदी सरकार की ओर से शेख हसीना को नेपाल, भूटान, मॉरीशस और श्रीलंका के शीर्ष नेताओं संग भारत आने का न्योता दिया गया है। मोदी 3.0 सरकार के शपथ ग्रहण समारोह के लिए इन नेताओं को आमंत्रित किया गया है। सूत्रों ने बताया कि भारत के पड़ोस में प्रमुख बुनियादी ढांचा परियोजना का प्रबंधन करने के लिए चीन कोशिश में जुटा है, इस पर केंद्र की निगाहें हैं। ये असहज करने वाला मुद्दा भी है। बस इसी के मद्देनजर जब पीएम मोदी इस वीकेंड में अपने समकक्ष नेताओं से मिलेंगे तो इस दैरान सीमा पार संपर्क परियोजनाएं और व्यावसायिक पहल प्रमुख मुद्दे हो सकते हैं जिन पर बात होगी। 
बांग्लादेश का ये पोर्ट क्यों है अहम
भारत के पास पहले से ही चटगांव और मोंगला दोनों बंदरगाहों पर पूर्वोत्तर राज्यों में माल की ढुलाई की सुविधा है। इससे 1,650 किलोमीटर लंबे चिकन नेक कॉरिडोर को छोड़ना पड़ता है। पिछले महीने, इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड के एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने अपने प्रबंध निदेशक सुनील मुकुंदन के नेतृत्व में परिचालन सुविधाओं का विस्तार से अध्ययन करने के लिए मोंगला पोर्ट का दौरा किया, हमारे सहयोगी अखबार ईटी को इसकी जानकारी मिली है। अगर ये वार्ता सफलतापूर्वक आगे बढ़ती है, तो मोंगला ईरान में चाबहार पोर्ट और म्यांमार में सित्तवे के बाद भारत की ओर से लिया जाने वाला तीसरा अंतर्राष्ट्रीय बंदरगाह संचालन होगा। ये दोनों बंदरगाह इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (आईपीजीएल) की ओर से मैनेज किए जाते हैं। 
चीन के लिए क्यों होगा तगड़ा झटका
वहीं श्रीलंका में भारत-रूस ज्वाइंट वेंचर को चीन की ओर से प्रबंधित हंबनटोटा बंदरगाह के आसपास के एयरपोर्ट का मैनेजमेंट राइट्स मिल गए हैं। अब आईपीजीएल को मोंगला बंदरगाह अथॉरिटी के सामने विस्तृत लिखित प्रस्ताव पेश करने के लिए कहा गया है। मोंगला बंदरगाह प्राधिकरण के प्रतिनिधि ने कहा कि प्रतिनिधिमंडल को सूचित किया गया कि प्रस्ताव प्राप्त होने के बाद उसका मूल्यांकन किया जाएगा। अगर यह फायदेमंद हुआ तो फैसले के लिए इसे सरकार को भेजा जाएगा।
-Legend News

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