नागपुर। आयुर्वेदिक प्रोडक्ट्स की दुनिया में विको के नाम को घर-घर पहुंचाने वाले कंपनी के चेयरमैन यशवंत पेंढरकर का निधन हो गया है. वह 85 साल के थे. उन्होंने मूल तौर पर लॉ यानी कानून की पढ़ाई की थी, लेकिन बाद में वह फैमिली बिजनेस को संभालने लगे.

‘विको वज्रदंती, विको वज्रदंती, विको पाउडर, विको पेस्ट… आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों से बना संपूर्ण स्वदेशी’, अगर आपने कभी दूरदर्शन देखा है तो आपको ये जिंगल जरूर याद होगा. वहीं ‘ विको टरमरिक, नहीं कॉस्मेटिक’ जैसी लाइंस भी आपके जेहन में जरूर तैर गई होंगी. इन सभी जिंगल्स के पीछे एक ही व्यक्ति यशवंत केशव पेंढरकर का दिमाग था. आज विको लेबोरेटरीज के इस चेयरमैन का 85 वर्ष की आयु में निधन हो गया.

विको को आयुर्वेदिक उत्पादों का दूसरा पर्याय बनाने वाले, विज्ञापनों की मदद से विको के प्रोडक्ट्स को घर-घर पहुंचाने वाले यशवंत पेंढरकर बढ़ती उम्र की समस्याओं से ग्रस्त थे. नागपुर के सिविल लाइन स्थित उनके निज आवास पर ही उन्होंने अंतिम सांस ली. उनका अंतिम संस्कार नागपुर के ही आमबाजारी घाट पर हुआ है. यशवंत पेंढरकर के पीछे उनकी पत्नी शुभदा, बेटे अजय और दीप, बेटी दीप्ति के अलावा कई ग्रांड चिल्ड्रन और रिश्तेदार शोक में हैं.

एलएलबी पढ़े थे यशवंत पेंढरकर
यशवंत पेंढरकर ने एलएलबी की पढ़ाई की थी. उसके बाद उन्होंने विको लेबोरेटीज में काम करना शुरू कर दिया. उन दिनों भारत में उत्पादन इत्यादि को लेकर काफी सख्ती बरती जाती थी. ये इंस्पेक्टर राज का दौर था. तब विको की एक्साइज डिपार्टमेंट से करीब 30 साल लंबी कानूनी लड़ाई चली, उस समय यशवंत पेंढरकर की कानून की पढ़ाई कंपनी के बहुत काम आई. उन्हें 1978 में जाकर ये जीत हासिल हुई.

- Legend News

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