लोकसभा चुनाव के बीच सुप्रीम कोर्ट में बूथ वाइज वोटर्स का डेटा सार्वजनिक करने के मामले पर सुनवाई हुई। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को प्रति बूथ पर पड़े कुल वोटों की जानकारी प्रकाशित करने का निर्देश देने से इंकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चुनाव चल रहा है और बीच में वह दखल नहीं हो सकता। इसके साथ ही इस मामले की सुनवाई गर्मी की छुट्टी के बाद के लिए टाल दी है। 
गर्मियों की छुट्टी के बाद होगी सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कल (शनिवार) को छठे फेज का चुनाव हो जाएगा और ऐसे में चुनाव आयोग की परेशानी को हम समझ सकते हैं क्योंकि उसके लिए मैन पावर चाहिए और ग्राउंड पर स्थिति हम समझते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में एडीआर की अर्जी पर सुनवाई गर्मी की छुट्टी के बाद के लिए तय कर दी है। जस्टिस दीपांकर दत्ता की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि हम सीधे तौर पर अर्जी पर सुनवाई टालते हैं। सिर्फ यह टिप्पणी करते हैं कि इस स्टेज पर रिलीफ क्यों नहीं दिया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि पहली नजर में हम इस स्टेज पर रिलीफ देने के पक्ष में नहीं हैं। जस्टिस दत्ता ने कहा कि शनिवार को छठा फेज का चुनाव खत्म हो जाएगा। इस तरह की बातों को अमल में लाने के लिए मैन पावर चाहिए। हम ग्राउंड की स्थिति को लेकर बेहद सजग हैं और हम समझते हैं कि इस मामले को गर्मी की छुट्टियों के बाद सुनी जाए। हम छुट्टियों के बाद इस मामले को सुनेंगे। 
इससे पहले सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट मनिंदर सिंह ने दलील दी है कि 19 मई की अर्जी एक क्लासिक केस है कि कैसे कानून का दुरुपयोग किया जाए। एडीआर की ओर से दवे ने कहा कि यह केस नहीं है कि याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। एक मामला पहले के काउंटिंग से पहले से संबंधित है और दूसरा मामला काउंटिंग के बाद का है। 
जस्टिस दत्ता ने कहा कि मनिंदर सिंह को पहले सुनते हैं? मनिंदर सिंह ने कहा कि यह याचिका सिर्फ संदेह और गलत आरोपों पर आधारित है। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दे रखा है और संदेह की कोई गुंजाइश नहीं है। जजमेंट सुबह दिया गया और फिर याचिका दायर कर दी गई कि इसमें अमुक बात कवर नहीं हुआ। ईवीएम और वीवीपीएटी के मिलान की अर्जी सुप्रीम कोर्ट 26 अप्रैल को खारिज कर चुकी है। इस तरह की पहल लोगों के हितों को नुकसान पहुंचाती हैं। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 26 अप्रैल को जो फैसला दिया था उसमें धारा-49 एस और फॉर्म 17 सी को डील कर चुका है। सिर्फ संदेह के आधार पर और अंदेशे के आधार पर यह नहीं बताया जा सकता है कि सिस्टम में गलती हो रही है। याचिका में कहा गया है कि 5-6 फीसदी वोटों का अंतर हो रहा है और यह गलत आरोप है।
-Legend News 

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