रिपोर्ट : LegendNews
सिद्धेश्वरी देवी, जिन्हें निर्विवाद रूप से ठुमरी गायन की साम्राज्ञी माना गया
भारतीय शास्त्रीय संगीत की प्रसिद्ध गायिका सिद्धेश्वरी देवी की आज पुण्यतिथि है। 8 अगस्त 1908 को वाराणसी (उत्तर प्रदेश) में पैदा हुईं सिद्धेश्वरी देवी की मृत्यु 17 मार्च 1977 को हुई।
एक ऐसे दौर में जब नाचने व गानों वालों को अच्छी दृष्टि से नहीं देखा जाता था और महिला कलाकारों को तो वेश्या ही मान लिया जाता था, ऐसे समय में सिद्धेश्वरी देवी ने अपनी कला के माध्यम से भरपूर मान और सम्मान अर्जित किया। उन्हें निर्विवाद रूप से ठुमरी गायन की साम्राज्ञी मान लिया गया था।
सिद्धेश्वरी देवी के पिता श्याम तथा मॉं श्रीमती चंदा उर्फ श्यामा थीं। जब ये डेढ़ वर्ष की थीं, तब उनकी मॉं का निधन हो गया अतः उनका पालन उनकी नानी मैनाबाई ने किया, जो एक लोकप्रिय गायिका व नर्तकी थीं। सिद्धेश्वरी देवी का बचपन का नाम गोनो था। उन्हें सिद्धेश्वरी देवी नाम प्रख्यात विद्वान व ज्योतिषी पंडित महादेव प्रसाद मिश्र (बच्चा पंडित) ने दिया।
कॅरियर
सिद्धेश्वरी देवी को पहली बार 17 साल की अवस्था में सरगुजा के युवराज के विवाहोत्सव में गाने का अवसर मिला। उनके पास अच्छे वस्त्र नहीं थे। ऐसे में विद्याधरी देवी ने उन्हें वस्त्र दिये। वहां से सिद्धेश्वरी देवी का नाम सब ओर फैल गया। मुंबई के एक समारोह में वरिष्ठ गायिका केसरबाई से जब ठुमरी गाने को कहा गया तो उन्होंने कहा कि जहां ठुमरी साम्राज्ञी सिद्धेश्वरी देवी हों, वहां मैं कैसे गा सकती हूं।
सम्मान एवं पुरस्कार
भारत सरकार द्वारा पद्मश्री पुरस्कार (1966)
साहित्य कला परिषद सम्मान (उत्तर प्रदेश)
संगीत नाटक अकादमी सम्मान
केन्द्रीय संगीत नाटक अकादमी सम्मान
सिद्धेश्वरी देवी ने ऊषा मूवीटोन की कुछ फ़िल्मों में अभिनय भी किया पर शीघ्र ही वे समझ गयीं कि उनका क्षेत्र केवल गायन ही है।
Compiled: Legend News
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