नई दिल्ली। बीमा नियामक इरडा (IRDAI)  ने स्‍वास्‍थ्‍य बीमा पॉलिसी लेने वालों के लिए कैशलेस सुविधा देने के लिए कंपनियों पर नकेल कस दी है. नियामक ने मास्‍टर सर्कुलर जारी कर दो टूक कहा है कि 1 अगस्‍त से यह सुविधा सभी कंपनियां अपने 100 फीसदी ग्राहकों को देना शुरू कर दें.

बीमा नियामक इरडा ने कंपनियों से कहा है कि अपने सर्किल वाले सभी अस्‍पतालों में फिजिकल तौर पर एक हेल्‍प डेस्‍क बनाएं, जहां बीमाधारकों को तत्‍काल मदद की सुविधा हो. बीमा नियामक का कहना है कि सभी कंपनियों को अब 100 फीसदी क्‍लेम कैशलेस ही देना पड़ेगा. इसकी सारी प्रक्रिया 3 घंटे के भीतर खत्‍म करनी होगी. अगर इससे ज्‍यादा समय लगता है और अस्‍पताल की ओर से कोई एक्‍स्‍ट्रा चार्ज लिया जाता है तो इसकी भरपाई बीमा कंपनी को करनी होगी.

बीमा पॉलिसी बेचते समय तो कंपनियां बड़े-बड़े वादे और दावे करती हैं, लेकिन क्‍लेम के समय नया-नया बहाना खोजना शुरू कर देती हैं. खासकर हेल्‍थ इंश्‍योरेंस के मामले में ज्‍यादा दिक्‍कत आती है. यह खुलासा हाल में हुए एक सर्वे में हुआ था, जिसमें कहा गया कि करीब 42 फीसदी पॉलिसीहोल्‍डर्स को इलाज के बाद क्‍लेम पाने में दिक्‍कतों का सामना करना पड़ा. 42 फीसदी का आंकड़ा काफी ज्‍यादा होता है और इसी बात को गंभीरता से लेते हुए बीमा नियामक इरडा (IRDAI) ने कंपनियों की नकेल कस दी है.

इरडा ने मास्‍टर प्‍लान जारी कर बीमा कंपनियों से दो टूक कहा है कि इस काम में देरी नहीं होनी चाहिए और हर हाल में 31 जुलाई तक सुविधा लागू कर दी जाए. ऐसे में माना जा रहा है कि 1 अगस्‍त, 2024 से सभी हेल्‍थ इंश्‍योरेंस पॉलिसी होल्‍डर्स को इसकी सुविधा मिलनी शुरू हो जाएगी. कैशलेस क्‍लेम का मतलब है कि इलाज का पूरा खर्चा बीमा कंपनी उठाएगी, जैसा कि पॉलिसी के नियमों में लिखा होगा. अभी बहुत से केस में कंपनियां बाद में रीम्‍बर्स करने के लिए कहती हैं, जिससे पॉलिसीधारक को अनावश्‍यक कागजी कार्यवाही में उलझना पड़ता है और क्‍लेम में देरी होती है.

- एजेंसी  

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