​रूस और यूक्रेन के बीच 24 फरवरी 2022 को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन  के आदेश पर शुरू हुए युद्ध को 2 साल से भी ज़्यादा समय हो चुका है। इस युद्ध की वजह से यूक्रेन में भारी तबाही मच चुकी है, कई लोग अपनी जान गंवा चुके हैं और उससे भी ज़्यादा लोग घायल हो चुके हैं। पर लगातार मिल रही इंटरनेशनल हेल्प की बदौलत यूक्रेनी सेना अभी भी डटकर रूस की सेना का सामना कर रही है। यूक्रेनी सेना कई इलाकों से रूस की सेना को खदेड़ चुकी है। पर फिर भी यूक्रेन को इस युद्ध में काफी मुश्किल हो रही है। इस युद्ध को देखते हुए ही यूक्रेन नाटो में शामिल होना चाहता है। दरअसल युद्ध शुरू होने से पहले ही स्वीडन ने इसकी इच्छा जाहिर कर दी थी, पर युद्ध शुरू होने के बाद सितंबर, 2022 में यूक्रेन ने इसके लिए आवेदन भी किया था। यूक्रेन अपनी सुरक्षा के लिए जल्द से जल्द नाटो में शामिल होना चाहता है जिससे युद्ध में उसे नाटो देशों की सेना का सीधे तौर पर समर्थन मिले। लेकिन अब इस बारे में जर्मनी के चांसलर ने एक बड़ी बात कह दी है। 
जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज ने हाल ही में यूक्रेन के नाटो में शामिल होने पर बात करते हुए कहा है कि यूक्रेन अगले 30 सालों में भी शायद नाटो में शामिल नहीं हो पाएगा। 
पुतिन हैं खिलाफ
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन शुरू से ही यूक्रेन के नाटो में शामिल होने के खिलाफ रहे हैं। नाटो 32 देशों का एक ऐसा ग्रुप है जिसमें 30 यूरोपीय देश और 2 नॉर्थ अमेरिकी देश शामिल हैं। नाटो के सभी मेंबर देश सैन्य मामलों में एक-दूसरे की मदद करते हैं। इसका सबसे ज़्यादा फायदा नाटो में शामिल छोटे देशों को मिलता है। इसी वजह से यूक्रेन नाटो में शामिल होना चाहता है जिससे उसे रूस से खतरा न रहे। पर पुतिन यूक्रेन के नाटो में शामिल होने को रूस के लिए खतरा मानते हैं क्योंकि रूस और यूक्रेन की बॉर्डर जुड़ती है और अगर यूक्रेन नाटो में शामिल होता है तो उसकी बॉर्डर पर नाटो की सेना तैनात हो जाएगी और पुतिन उसे रूस के लिए सही नहीं मानते। इसी वजह से पुतिन यूक्रेन के नाटो का सदस्य बनने के खिलाफ हैं। 
-Legend News

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