पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा है कि देश में फिर से वही चीजें दोहराई जा रही हैं, जो 1971 में बांग्लादेश के वजूद में आने की वजह बनी थीं। ऐसे हालात में देश के फिर से टूटने की चेतावनी देते हुए जेल में बंद इमरान खान ने अपने एक्स हैंडल पर एक वीडियो शेयर करते हुए कहा है कि पाकिस्तान के दो हिस्सों में बंटने के लिए बंगाली नेता शेख मुजीबुर्रहमान नहीं बल्कि सैन्य तानाशाह जनरल याह्या खान और उसके नजदीकी आर्मी अफसर जिम्मेदार थे। इमरान ने वीडियो शेयर करते हुए लिखा है कि हर पाकिस्तानी को हमूदुर्रहमान आयोग की रिपोर्ट को पढ़कर जानना चाहिए कि देश के टूटने का असली गद्दार जनरल याह्या खान था या शेख मुजीबुर्रहमान। 
इमरान खान की ओर से शेयर की गई वीडियो में बताया गया है कि जिस तरह से देश के टूटने के लिए शेख मुजीब को दोष दिया जाता है और गद्दार कहा जाता है, वो सच नहीं है। मुजीब तो देश के संविधान पर भरोसा करता था और पाकिस्तान के साथ रहना चाहता था। उस शख्स ने तो मेहनत से इलेक्शन लड़ा और लोगों का भरोसा जीता लेकिन जनरल याह्या ने कभी उसको अपनाया नहीं, याह्या ने पूर्वी पाकिस्तान को साथ रखने की कोई कोशिश नहीं की। 
पाक फौज ने बंगालियों के साथ जुल्म किया 
हमूदुर्रहमान आयोग की रिपोर्ट का हवाला देते हुए वीडियो में कहा गया है कि मुजीब पूर्वी पाकिस्तान में लोकतंत्र ढंग से चुना गया सबसे पसंदीदा नेता था, वो जम्हूरियत के हिसाब से अपना हक चाहता था। याह्या ने कुर्सी बचाने के लिए बंगालियों पर जुल्म ढाए, संविधान और कायदे कानून को ताक पर रखकर काम किया। मुजीब को गिरफ्तार किया गया और उसके आर्मी से ना होने के बावजूद आर्मी कोर्ट से सजा दिलवाई गई। याह्या ने बंगालियों को हर तरह से लूटा। उनके पैसे भी लूटे गए और जानें भी ली गईं। 
वीडियो में पाकिस्तान की सेना के बांग्लादेश में किए गए अत्याचारों का जिक्र करते हुए कहा गया है कि फौज ने ऑपरेशन सर्च लाइट चलाकर बंगाली बुद्धिजीवियों और राजनीतिक विरोधियों को बेरहमी से कुचला। बड़ी तादाद में अल्पसंख्यकों पर जुल्म हुआ और बंगाली महिलाओं के साथ रेप किए गए। जो फौज अपने लोगों को दबाने में लगी हो, उसका दुश्मन से लड़ पाना मुमकिन ही नहीं था। इसका नतीजा ये हुआ कि जनरल नियाजी ने दो हफ्ते में ही हथियार डाल दिए। पाकिस्तानी फौज भारतीय सेना से जंग हारी और नियाजी जलील होकर समझौते पर दस्तखत करने के लिए मजबूर हुआ। 
आज भी 1971 जैसे घटनाक्रम
इमरान की ओर से शेयर किए इस वीडियो में आगे कहा गया है, 'अगर लोगों ने मुजीब को चुना था तो क्यों नहीं उसको सत्ता सौंपी गई। हमें सोचना चाहिए कि गद्दार मुजीब था या फिर उसका हक छीनने वाला जनरल याह्या। खुद से पूछिए कि आखिर देश किसने तोड़ा, मुजीब ने या याह्या के गलत फैसलों ने। 1971 में जो हुआ, वही आज हो रहा है। आज भी जिस पार्टी (पीटीआई) को लोगों ने चुना, उसको सत्ता नहीं दी गई और उसके लीडर इमरान खान को जेल में डाला गया। जिन लोगों को अवाम ने खारिज किया, उनको सत्ता में बैठा दिया गया है। 
इमरान खान की पार्टी पीटीआई के नेता और केपी के मुख्यमंत्री अली अमीन गंडापुर ने भी हाल ही में पाकिस्तान की सरकार और आर्मी को लेकर तीखे तेवर दिखाए थे। अब इमरान खान ने 1971 के दौरान सेना की भूमिका पर सवाल उठाते हुए मौजूदा सेना प्रमुख की भूमिका पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह पूर्व प्रधानमंत्री इमरान और सेना के बीच बढ़ते तनाव को दिखाता है। 
-Legend News

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