मथुरा में विभिन्न क्षेत्रों के लिक से हटकर जीने वाले व्यक्ति मुझे कुछ लिखने को प्रेरित करते रहे हैं। पिछले दिनों मथुरा के वरिष्ठ नागरिक जन कल्याण समिति के एक कार्यक्रम में एक आमंत्रित महिला को काव्य पाठ करते सुना तो उनके बारे में जानने की जिज्ञासा हुई।  कविता बचपन की यादों को केंद्र में रखकर रची-बसी थी। कविता का विषय भले ही नवीन न हो पर  शब्द चयन और अभिव्यक्ति अनूठी लगी। बाद में परिचय हुआ तो मालूम हुआ कवयित्री पेशे से चिकित्सक हैं और कविता, पेंटिंग और क्लासिकल डांस उनकी सबसे प्रिय हॉबी हैं। नाम है- डॉ. रूपा अग्रवाल। 

मथुरा में सौ से अधिक नर्सिंग होम, अस्पताल और उनमें एक हजार के लगभग चिकित्सक होंगे। नितांत एकाकी रहकर और सिर्फ अपने पेशे, धनोपार्जन और चिकित्सक मित्रों के मध्य जीवन जीने वाले इस महत्वपूर्ण तबके के विशिष्ठ लोग शहर की  साहित्यिक, सामाजिक और सांस्कृतिक व राजनैतिक गतिविधियों से दूर रहकर जीने की नकारात्मक परम्परा डाल चुके हैं। 

हाँ, मथुरा में अपवादस्वरूप दो चिकित्सक जरूर ऐसे हैं जो पिछले  चार दशक से किसी न किसी रूप में समाज से जुड़े हैं, डॉ. अशोक अग्रवाल और डॉ. आर के चतुर्वेदी। मथुरा की राजनीति में डॉ. अशोक और शहर की साहित्यिक, सांस्कृतिक गतिविधियों में डॉ. आर के चतुर्वेदी किसी भी  परिचय के मोहताज नहीं। 
 
वर्तमान में  महिला चिकित्सकों में डॉ. रूपा के नाम से स्थानीय संगठनों को वाकिफ होना चाहिए। मैं उनकी चिकित्सकीय ज्ञान और उपलब्धियों का उल्लेख न कर सिर्फ उनकी कविता, पेंटिंग और नृत्य कला की अभिरुचियों और सामाजिक, सांस्कृतिक व साहित्यिक वातावरण को समृद्ध और सुरुचिपूर्ण बनाने की उनकी ललक की बात करूंगा। डॉ. रूपा का पहला काव्य संग्रह  प्रकाशाधीन है।
 
एक मुलाक़ात में उन्होंने बताया कि ''उनके चिकित्सकीय ज्ञान में कोई नवीनता नहीं, ज्ञान की एकरूपता जीवन में उबाऊपन उपजाती है। ऐसे में वक्त निकालकर कुछ पढ़ना, कविता लिखना और कैनवास पर रंगों और कूची से अठखेलियां करना मेरे जीवन में रस घोलता है, निराशा और अवसाद से मुक्ति मिलती है।''

डॉ. रूपा की पेंटिंग सूक्ष्म नहीं स्थूल कला से ताल्लुक रखती हैं। उन्होंने बताया कि पेंटिंग के लिए किसी स्कूली डिग्री की जरूरत नहीं। उन्होंने यह बात उस वक्त अनुभव की जब उनके घर में कारपेंटर का काम करने वाले कर्मचारी को पेंटिंग बनाते देखा।  

डॉ. रूपा ने विष्णु कारपेंटर को अधिक से अधिक पेंटिंग बनाने के लिए प्रेरित किया। विष्णु की पेंटिंग सूक्ष्म हैं , दर्शक को विष्णु की पेंटिंग के विषय को समझने के लिए दिमागी वर्जिश करनी पड़ती है।  आज डॉ. रूपा आगुन्तकों को जब अपनी पेंटिंग दिखाती हैं तो विष्णु की पेंटिंग को दिखाकर उसकी प्रतिभा का उल्लेख करना नहीं भूलतीं। 

डॉ. रूपा ने मथुरा के स्कूल कॉलेज की छात्राओं  के मध्य जाकर साहित्य और ललित कलाओं में अभिरुचि पैदा करने का संकल्प लिया है। 

मथुरा में एक महिला चिकित्सक की निजी अभिरुचियाँ हमारे लिए प्रशंसनीय हैं तो 'इंडियन मेडिकल एसोसियशन' के सदस्यों के लिए प्रेरणाप्रद।


 

- डॉ. अशोक बंसल
 

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