पुदुचेरी विश्वविद्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भाषाई एकता और नई शिक्षा नीति (NEP 2020) की अहमियत पर देशवासियों से भावनात्मक अपील की। विश्वविद्यालय में बोलते हुए धनखड़ ने किसी का नाम लिए बिना इस बात पर दुख जताया कि भाषाओं का विरोध हो रहा है। 
उपराष्ट्रपति ने कहा, "पिछले दशक में अभूतपूर्व विकास के परिणामस्वरूप भारत दुनिया का सबसे महत्वाकांक्षी राष्ट्र है।" उन्होंने पूछा, "हम भाषाओं पर कैसे विभाजित हो सकते हैं?" 
भारत की भाषाएं: विविधता में एकता की मिसाल
धनखड़ ने कहा कि भारत में 22 भाषाओं में संसद की कार्यवाही संभव है और यह हमारी भाषाई समावेशिता का प्रमाण है। उन्होंने संस्कृत, तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम, उड़िया, मराठी, पालि, प्राकृत, बांग्ला और असमिया को क्लासिकल भाषाएं बताते हुए कहा कि भारत इस दृष्टि से दुनिया में सबसे समृद्ध है।
उन्होंने कहा, "सनातन संस्कृति हमें एकता और साझा उद्देश्य की भावना सिखाती है। हमें आत्ममंथन करना चाहिए और अपने महान राष्ट्र की उपलब्धियों पर गर्व करना चाहिए।"
नई शिक्षा नीति को बताया ‘गेम चेंजर’
उपराष्ट्रपति ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) को देश के लिए "गेम चेंजर" बताते हुए कहा कि यह छात्रों को बहुपक्षीय कौशल और ज्ञान अर्जित करने का अवसर देती है।
धनखड़ ने उन राज्यों से अपील की जो अब तक इसे लागू नहीं कर सके हैं, कि वे NEP को पूरी भावना के साथ अपनाएं। उन्होंने कहा कि यह नीति दुनिया की सर्वश्रेष्ठ नीतियों में से एक है, जो छात्रों को अपनी प्रतिभा के अनुसार विभिन्न कोर्स करने की आजादी देती है।
धनखड़ ने राजनीतिक दलों को भी नसीहत दी कि वे टकराव और अव्यवस्था की राजनीति छोड़ें। उन्होंने कहा कि "संविधान में टकराव और बाधा डालने का कोई स्थान नहीं है।"
-Legend News

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