प्रयागराज। इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी (Allahabad Central University) में एक अनूठा प्रयोग संस्कृत भाषा के प्रसार के लिए किया जा रहा है, जहां संस्कृत भाषा को संस्कृत या हिंदी के साथ ही अंग्रेजी भाषा में भी पढ़ाया जा रहा है। संस्कृत भाषा की जटिलता से डरकर इससे भागने वाले स्टूडेंट अंग्रेजी समेत दूसरी भाषाओं में इसे आसानी से पढ़ सकेंगे और इसमें अपना कैरियर बनाकर रोजगार हासिल कर सकें।

यूनिवर्सिटी का मानना है कि इससे दक्षिण भारतीय राज्यों और विदेशों में भी संस्कृत भाषा का जबरदस्त प्रचार प्रसार भी होगा। इस अनूठे प्रयोग का जबरदस्त रिस्पांस देखने को मिल रहा है और पहले ही सेशन में बड़ी संख्या में छात्र अंग्रेजी में संस्कृत पढ़ने के लिए एडमिशन ले रहे हैं। सेशन की शुरुआत में ही डेढ़ सौ से ज्यादा छात्र अंग्रेजी में संस्कृत पढ़ने के लिए अपना रजिस्ट्रेशन करा चुके हैं।

अंग्रेजी में कर रहे संस्कृत भाषा की पढ़ाई 
इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के छात्र इन दिनों अंग्रेजी में भी संस्कृत भाषा की पढ़ाई कर रहे हैं। क्लास रूम में अंग्रेजी भाषा में लेक्चर होते हैं। प्रोफेसर संस्कृत के शब्दों को अंग्रेजी में ही ब्लैक बोर्ड पर लिखते हैं। स्टूडेंट को अंग्रेजी भाषा में ही संस्कृत के श्लोक और दूसरे वाक्यों का डिक्टेशन देते हैं। संस्कृत के सवाल जवाब अंग्रेजी में ही हो रहे हैं। 

यह अनूठा प्रयोग इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी में इसी सेशन से शुरू किया गया है। वाइस चांसलर की सहमति से इस अनूठे प्रयोग की शुरुआत विभाग के एचओडी प्रोफेसर रामसेवक दुबे ने कराई है। कई सहायक प्रोफेसर इंग्लिश में संस्कृत को पढ़ाने के लिए खास तौर पर लगाए गए हैं। इनमें प्रोफेसर अनिल प्रताप गिरी और प्रोफेसर लेखराम दन्ना प्रमुख हैं। इंग्लिश भाषा में ली जाने वाली इन की क्लास में कई बार तो क्लास रूम छोटा नजर आता है। 

अंग्रेजी में होने वाली संस्कृत की क्लास में भीड़ इतनी ज्यादा होती है कि बेंच पर स्टूडेंट को एक दूसरे से सटकर बैठना पड़ता है। इसी से इस अनूठे प्रयोग के जबरदस्त क्रेज का अंदाजा लगाया जा सकता है। इससे स्टूडेंट को संस्कृत की पढ़ाई करने में ना सिर्फ आसानी हो रही है बल्कि इस विषय में उनकी दिलचस्पी भी तेजी से बढ़ रही है। स्टूडेंट का यह भी मानना है कि दक्षिण भारतीय राज्यों और विदेशों में तमाम लोग संस्कृत तो पढ़ना चाहते हैं, लेकिन वहां के लोगों को सिर्फ अंग्रेजी ही आती हैं। ऐसे में अगर वहां के लोगों को अंग्रेजी भाषा में संस्कृत पढ़ाई जाएगी तो इससे ना सिर्फ इस भाषा का बल्कि भारतीय संस्कृति का भी प्रचार प्रसार होगा। इसके साथ ही रोजगार के अवसर पैदा होंगे और इस भाषा के प्रति लोगों की दिलचस्पी भी बढ़ेगी।

- Legend News
 

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