पहले कैक्टस को बेकार पौधा समझा जाता था. लेकिन कई क्षेत्रों में बढ़ते इसके इस्तेमाल के कारण इसके उत्पादन में भी बढ़ोत्तरी हुई है.

कैक्टस की खेती इसलिए भी आसान है क्योंकि इसकी फसल को ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती. वैसे तो कैक्टस के कई प्रकार के होते हैं. लेकिन व्यसायिक इस्तेमाल के लिए ओपुंशिया फाइकस-इंडिका का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है.

इस पौधे की ख़ास बात यह है कि इसमें आम कैक्टस के पौधे के जैसे कांटे नहीं होते. इसकी खेती के लिए बहुत कम पानी की आवश्यकता होती है. जिससे खेती करने की लागत कम हो जाती है.

रेगिस्तान में भी होती है कैक्टस की खेती
ये पौधे रेगिस्तानी इलाकों में ज्यादा उगते हैं. जिससे पानी का स्त्रोत भी बढ़ता है. इतना ही नहीं गर्मी में यह पौधा पशुओं को पानी की कमी की समस्या से बचाने से मदद करता है. कैक्टस का इस्तेमाल ज्यादातर शैम्पू, तेल, लोशन, साबुन बनाने में किया जाता है.

इसकी खेती खारी मिट्टी में भी की जा सकती है. इसकी खेती बरसात के मौसम में की जाती है. केवल पांच से छह महीने में ही इसका पौधा तैयार हो जाता है. जब भी पहली कटाई की जाती है तो वह कम से कम पांच महीने के बाद ही किया जाना चाहिए.

इसका कई क्षेत्रों में इस्तेमाल होने के कारण इसकी मांग भी अधिक है और दाम भी. जिसके कारण इससे अच्छी खासी आमदनी कमाई जा सकती है.

काफी आसान है कैक्टस की खेती

पहले लोगों को कैक्टस (Cactus Cultivation) के फायदों के बारे में नहीं पता था. तब इसकी खेती उतने ज्यादा बड़े स्तर पर नहीं होती थी. लेकिन जैसे-जैसे लोगों में जागरूकता बढ़ रही है. कैक्टस की खेती करने वाले किसानों की संख्या भी बढ़ती जा रही है.

कैक्टस (Cactus Cultivation) के पौधे का इस्तेमाल सौन्दर्य प्रसाधन के सामान बनाने के साथ ही स्वास्थ्य वर्धक दवाइयों को बनाने, चमड़ा बनाने, पशुओं को गर्मी से बचाने के लिए भी किया जाता है.

- Legend News

 

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