केंद्र सरकार ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया है। यह हलफनामा वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज करने के लिए है। सरकार का कहना है कि कोर्ट कानून की समीक्षा कर सकता है लेकिन सिर्फ कुछ खास आधारों पर। जैसे कि कानून बनाने की शक्ति किसके पास है और क्या यह मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है। सरकार ने यह भी कहा कि याचिकाएं गलत धारणा पर आधारित हैं कि संशोधन धार्मिक स्वतंत्रता के मौलिक अधिकारों को छीन लेते हैं। सरकार ने कोर्ट से कहा कि वह इस मामले पर अंतिम फैसला दे और किसी भी तरह की रोक न लगाए। 
वक्फ संपत्तियों का किया गया दुरुपयोग 
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वक्फ अधिनियम में संशोधन एक संसदीय पैनल द्वारा गहन अध्ययन के बाद लाए गए थे। सरकार ने कहा कि वक्फ संपत्तियों का दुरुपयोग करके निजी और सरकारी संपत्तियों पर अतिक्रमण किया गया है। सरकार के अनुसार, मुगल काल से पहले, आजादी से पहले और आजादी के बाद कुल 18,29,163.896 एकड़ वक्फ संपत्ति बनाई गई थी। 
सरकार ने हलफनामे में कहा कि चौंकाने वाली बात यह है कि 2013 के बाद वक्फ भूमि में 20,92,072.536 एकड़ की वृद्धि हुई है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को यह भी बताया कि विधायिका द्वारा बनाए गए कानून को बदलना सही नहीं है। 
कानून पर रोक लगाना ठीक नहीं 
हलफनामे में कहा गया है कि संसद ने यह सुनिश्चित करने के लिए अपने अधिकार क्षेत्र में काम किया कि वक्फ जैसे धार्मिक न्यासों का प्रबंधन सही तरीके से हो। सरकार ने कहा कि बिना सोचे-समझे रोक लगाना सही नहीं है, क्योंकि कानून की वैधता पर संदेह नहीं किया जा सकता। 
धार्मिक आजादी छीनने की धारणा गलत 
सरकार ने आगे कहा कि वक्फ कानून की वैधता को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं के प्रयास न्यायिक समीक्षा के मूल सिद्धांतों के खिलाफ हैं। सरकार ने कहा कि कोर्ट को सिर्फ कानून बनाने की शक्ति और मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के आधार पर ही किसी कानून की समीक्षा करनी चाहिए। सरकार ने यह भी कहा कि याचिकाएं इस गलत धारणा पर आधारित हैं कि संशोधन धार्मिक स्वतंत्रता के मौलिक अधिकारों को छीन लेते हैं।
-Legend News

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