विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रायसीना डायलॉग 2025 में कहा कि टैरिफ और तकनीकी प्रतिबंध अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में एक कड़वी सच्चाई हैं। उन्होंने कहा कि दुनिया के कई देश इनका इस्तेमाल करते हैं। 'कमिश्नर्स एंड कैपिटलिस्ट्स: पॉलिटिक्स, बिजनेस एंड न्यू वर्ल्ड ऑर्डर' विषय पर बात करते हुए जयशंकर ने कहा कि 'टैरिफ, एक्सपोर्ट कंट्रोल... चाहे हम इसे पसंद करें या नहीं, ये एक सच्चाई हैं। देश इनका इस्तेमाल करते हैं। अगर हम पिछले दस सालों को देखें तो पाएंगे कि देशों ने अपनी ताकत का इस्तेमाल हथियार की तरह किया है। इसमें आर्थिक गतिविधियां, वित्तीय लेन-देन, ऊर्जा सप्लाई या टेक्नोलॉजी सब शामिल हैं। यही आज की दुनिया की सच्चाई है।' 
सबसे अच्छा रास्ता खोजना होगा
जयशंकर ने आगे कहा कि हमें इस माहौल में अपने देश के लिए सबसे अच्छा रास्ता खोजना होगा। सरकार का काम है कि वह अपने बिजनेस, रोजगार और देश की ताकत के लिए लड़े। बिजनेस देश की तरक्की में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जयशंकर ने यह भी कहा कि आज के समय में अलग-अलग क्षेत्रों के बीच की सीमाएं मिट गई हैं। अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में पहले के मुकाबले अब कम संयम देखने को मिलता है। हमें इस बात को ध्यान में रखना होगा। 
यह सब ऐसे समय में हो रहा है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2 अप्रैल से कई देशों पर टैरिफ लगाने का फैसला किया है। ट्रंप ने भारत के हाई टैरिफ पर चिंता जताई है। उन्होंने यूरोपीय यूनियन (ईयू) से आने वाले सामानों पर भी अतिरिक्त टैरिफ लगाने की घोषणा की है। इससे दुनिया भर में व्यापार को लेकर तनाव बढ़ गया है। इससे पहले अमेरिका ने स्टील और एल्यूमीनियम के आयात पर 25% ड्यूटी लगाई थी जिससे कई देशों के साथ उसके संबंध खराब हो गए थे। ट्रंप ने ईयू को चेतावनी दी है कि अगर उसने जवाबी कार्रवाई की तो अमेरिका उस पर और भी ज्यादा टैरिफ लगाएगा। उन्होंने कहा, 'वे हम पर जो चार्ज लगाएंगे, हम उन पर वही चार्ज लगाएंगे।' 
व्‍यापार को लेकर बढ़ा है तनाव
अमेरिका ने कनाडा और मेक्सिको से आने वाले सामानों पर भी 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाया है। चीन से आने वाले सामानों पर 10% अतिरिक्त टैरिफ लगाया गया है। इसके जवाब में चीन और कनाडा ने भी अमेरिका से आने वाले सामानों पर टैरिफ लगाए हैं। कनाडा ने अमेरिका से आने वाले मेटल्‍स और इलेक्ट्रॉनिक्स सहित 20 अरब डॉलर के सामानों पर टैरिफ लगाया है। यह अमेरिका को स्टील और एल्यूमीनियम का सबसे बड़ा सप्लायर है। 
चीन ने अमेरिका से आने वाले कृषि और खाद्य उत्पादों पर टैक्स लगाया है। उसने 25 अमेरिकी कंपनियों से जुड़े एक्सपोर्ट और इन्वेस्टमेंट पर रोक लगा दी है। उसने तीन अमेरिकी कंपनियों के सोयाबीन इम्पोर्ट लाइसेंस रद्द कर दिए हैं। अमेरिका से आने वाले लकड़ी के लट्ठों का इम्पोर्ट बंद कर दिया है। इसके अलावा चीन ने अमेरिका के कुछ फाइबर ऑप्टिक उत्पादों की जांच भी शुरू कर दी है।
इन सभी घटनाओं से पता चलता है कि दुनिया में व्यापार को लेकर तनाव बढ़ रहा है। देश अपनी आर्थिक ताकत का इस्तेमाल एक-दूसरे पर दबाव बनाने के लिए कर रहे हैं। ऐसे में भारत को बहुत सोच-समझकर अपनी विदेश नीति बनानी होगी ताकि वह अपने देश के हितों की रक्षा कर सके।
-Legend News

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