सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पोर्नोग्राफी पर प्रतिबंध लगाने की मांग वाली याचिका को सुनने से इंकार कर दिया। जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने इसकी तुलना नेपाल में जेड-जी विरोध प्रदर्शनों से की। पीठ ने कहा- इस मामले में अभी हम कोई अंतरिम आदेश नहीं देंगे। पहले देखिए नेपाल में बैन को लेकर क्या हुआ था? 
नेपाल में हुआ था विरोध प्रदर्शन
बता दें कि सीजेआई का यह बयान सितंबर 2025 में नेपाल में जेन-जी के प्रदर्शनों की ओर इशारा था। दरअसल, नेपाल में सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाने के बाद युवाओं ने हिंसक प्रदर्शन किया था। इस प्रदर्शन के बाद केपी शर्मा ओली ने पीएम पद से इस्तीफा भी दिया था। 
चार सप्ताह बाद होगी सुनवाई
पीठ ने कहा कि इस याचिका पर अब चार सप्ताह बाद सुनवाई की जाएगी। बता दें कि सीजेआई 23 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं। याचिकाकर्ता ने सरकार से राष्ट्रीय नीति बनाने और पोर्नोग्राफी देखने पर अंकुश लगाने के लिए एक कार्य योजना का मसौदा तैयार करने के निर्देश देने की मांग की थी। 
याचिकाकर्ता ने कहा कि डिजिटलीकरण के बाद हर कोई डिजिटल रूप से जुड़ गया है। कौन शिक्षित है या अशिक्षित, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। सब कुछ एक क्लिक में उपलब्ध है। 
आंकड़े किए पेश
इस दौरान याचिकाकर्ता ने चौंकाने वाले आंकड़े भी पेश किए, जिसमें कहा गया कि भारत में 20 करोड़ से ज़्यादा अश्लील वीडियो या क्लिप जिनमें बाल यौन सामग्री भी शामिल है, बिक्री के लिए उपलब्ध हैं। यह भी बताया गया कि सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 69ए के तहत सरकार को इन साइटों तक आम जनता की पहुंच को रोकने का अधिकार है।
सरकार ने किया स्वीकार
याचिकाकर्ता ने कहा कि सरकार ने यह भी स्वीकार किया कि इंटरनेट पर अश्लील सामग्री को बढ़ावा देने वाली अरबों साइटें उपलब्ध हैं। उन्होंने आगे कहा- कोविड के दौरान स्कूली बच्चों ने डिजिटल उपकरणों का इस्तेमाल किया। इन उपकरणों में पोर्नोग्राफी देखने पर रोक लगाने की कोई व्यवस्था नहीं है। 
-Legend News

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