सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को महादेव सट्टेबाजी ऐप के सह-संस्थापक रवि उप्पल का पता लगाने और उसे गिरफ्तार करने का निर्देश दिया है। वह दुबई से भागकर किसी अज्ञात स्थान पर चला गया है। न्यायालय ने कहा कि सफेदपोश अपराध के आरोपियों के लिए अदालतों और जांच एजेंसियों को 'खिलौना बनाने' नहीं दिया जा सकता है। जस्टिस एम.एम. सुंदरेश और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने आरोपी उप्पल के कानून से बचने पर गंभीर नाराजगी जताई। कोर्ट ने कहा कि यह अदालत के विवेक को झकझोरता है, अब कुछ करना ही होगा।
ऐसे अपराधियों के लिए अदालतें और एजेंसियां खिलौना नहीं
बताया जाता है कि भारत में प्रवर्तन एजेंसियों से बच रहा उप्पल दुबई से किसी अज्ञात स्थान पर भाग गया है, जिसकी वजह से संयुक्त अरब अमीरात प्राधिकारियों ने उसकी प्रत्यर्पण प्रक्रिया रोक दी। न्यायालय ने कहा कि ऐसे अपराधियों के लिए अदालतें और एजेंसियां खिलौना नहीं हैं। ईडी उसे जल्द खोजे और गिरफ्तार करे। शीर्ष अदालत उप्पल की याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें उसने छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के 22 मार्च के आदेश को चुनौती दी है। उच्च न्यायालय ने उसे रायपुर की निचली अदालत में लंबित धन शोधन मामले की सुनवाई में शामिल होने का निर्देश दिया था। 
2023 में दुबई में हिरासत में था उप्पल
ईडी की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस.वी. राजू ने न्यायालय को बताया कि उप्पल 2023 में दुबई में हिरासत में था लेकिन अब वहां से भाग निकला है। उन्होंने कहा कि ऐसे आर्थिक अपराधी अक्सर उन देशों में छिप जाते हैं जिनसे भारत की प्रत्यर्पण संधि नहीं है, जैसे ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स। पीठ ने मामले की अगली सुनवाई 14 नवंबर के लिए निर्धारित कर दी, क्योंकि उसके वकील ने समय मांगा था। पीठ ने वकील से कहा कि वह उप्पल को भारत लौटने और कार्यवाही का सामना करने के लिए राजी करें। 
2018 में शुरू हुआ था महादेव सट्टेबाजी ऐप
उप्पल को दिसंबर 2023 में इंटरपोल नोटिस के आधार पर दुबई में हिरासत में लिया था, लेकिन बाद में उसे निगरानी में रिहा कर दिया गया। ईडी का कहना है कि उप्पल और उसके साथी सौरभ चंद्राकर ने 2018 में महादेव सट्टेबाजी ऐप शुरू किया था, जिसके जरिए अवैध ऑनलाइन सट्टेबाजी होती थी। एजेंसियों के अनुसार यह घोटाला करीब 6,000 करोड़ रुपये का है और कई राज्यों तक फैला है।
चंद्राकर को अक्टूबर 2024 में दुबई में गिरफ्तार किया गया और उसका प्रत्यर्पण अनुरोध अभी लंबित है। यह मामला पहले छत्तीसगढ़ पुलिस के पास था, जिसने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को भी आरोपी बनाया था। बाद में जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दी गई। 
-Legend News

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