नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजीपी) एच एम जयराम के खिलाफ जांच क्राइम ब्रांच-क्राइम इन्वेस्टिगेशन डिपार्टमेंट (सीबी-सीआईडी) ​​को सौंपने का फैसला किया है. तमिलनाडु सरकार ने कहा कि वह चाहती है कि सीनियर पुलिस अफसर से जुड़े कथित अपहरण मामले की जांच पूरी होने तक उनका निलंबन जारी रहे.

यह मामला जस्टिस उज्जल भुइयां और न्यायमूर्ति मनमोहन की बेंच के समक्ष आया. बेंच ने मद्रास हाई कोर्ट के उस निर्देश को खारिज कर दिया, जिसमें पुलिस को अपहरण मामले के सिलसिले में जयराम को हिरासत में लेने के लिए कहा गया था. साथ ही, हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से अनुरोध किया कि वे एडीजीपी से जुड़े मामलों को दूसरी बेंच को सौंप दें.

इससे पहले दिन में तमिलनाडु सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे ने बेंच के समक्ष दलील दी थी कि उनके मुवक्किल चाहते हैं कि जयराम का निलंबन तब तक जारी रहे जब तक कि उनसे जुड़े कथित अपहरण मामले की जांच पूरी नहीं हो जाती. बेंच ने दवे से पूछा कि क्या वह वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के खिलाफ जांच को विशेष शाखा या सीआईडी ​​को सौंप सकती है.

दवे ने बेंच को बताया कि, जयराम का निलंबन अपहरण मामले में हाई कोर्ट के 16 जून के आदेश के अनुसार नहीं था और उन्हें अखिल भारतीय सेवा (अनुशासन और अपील) नियम, 1969 के नियम के तहत निलंबित किया गया था. यह अनुशासनात्मक प्राधिकारी को सेवा के किसी सदस्य को निलंबित करने का अधिकार देता है, जिसके खिलाफ आपराधिक आरोप से संबंधित जांच या पूछताछ या मुकदमा लंबित है.

दवे ने कहा कि वर्तमान में जांच चल रही है और जांच अधिकारी की रिपोर्ट के बाद वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के निलंबन आदेश के बारे में निर्णय लिया जाएगा. बेंच ने कहा कि वह हाई कोर्ट के समक्ष लंबित अपहरण मामले को हाई कोर्ट के किसी अन्य जज को ट्रांसफर कर सकती है.

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता के पास निलंबन के आदेश का विरोध करने के लिए अपने उपाय हैं, हालांकि, जिन विवादास्पद परिस्थितियों में हाई कोर्ट का आदेश पारित किया गया था, उन्हें देखते हुए, कोर्ट का मानना ​​है कि मामले की जांच सीबी-सीआईडी ​​को सौंपी जा सकती है.
- Legend News

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