भारतीय शेयर बाजार में सोमवार (30 सितंबर) को भारी गिरावट देखी गई, जहां सेंसेक्स (Sensex) 1000 अंकों से ज्यादा लुढ़क गया और निफ्टी (Nifty) 26,000 के अहम स्तर से नीचे आ गया। दोपहर 12.30 बजे तक सेंसेक्स 971 अंक (1.1%) गिरकर 84,600 पर पहुंच गया, जबकि निफ्टी 280 अंक गिरकर 25,898 पर आ गया। इस दौरान 1,424 शेयरों में तेजी रही, जबकि 2,028 शेयरों में गिरावट देखी गई और 122 शेयर स्थिर रहे।
यह बिकवाली सिर्फ बड़े कैप शेयरों तक सीमित नहीं रही, बल्कि मिड और स्मॉल-कैप शेयरों में भी दबाव देखा गया। बाजार में अस्थिरता मापने वाले सूचकांक इंडिया VIX में 7% का उछाल आया, जिससे निवेशकों में बढ़ती चिंता का संकेत मिला। 
मध्य पूर्व में बढ़ता तनाव 
इजरायल के हवाई हमले में हिजबुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह के खात्मे और उसके बाद लेबनान और यमन में टेंशन बढ़ने से भू-राजनीतिक तनाव और अधिक बढ़ गया। इससे निवेशक जोखिम भरे शेयरों से हटकर सुरक्षित निवेश जैसे- गोल्ड की ओर रुख कर रहे हैं। SAS Online के संस्थापक और सीईओ श्रेय जैन ने कहा, "यह गिरावट मुख्य रूप से इज़रायल और लेबनान में बढ़ते तनाव के कारण आई है, जिससे वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता बढ़ी है।" 
चीन का आर्थिक प्रोत्साहन
चीन द्वारा घोषित मौद्रिक और वित्तीय प्रोत्साहनों के बाद सितंबर में हांग सेंग इंडेक्स में करीब 18% की बढ़त देखी गई। इसने विदेशी निवेशकों को चीन की ओर आकर्षित किया, जिससे भारतीय बाजारों में एफआईआई की बिकवाली देखी जा रही है। Geojit Financial Services के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी.के. विजयकुमार ने कहा, "चीनी शेयरों की सस्ती कीमतों और उनके बेहतर प्रदर्शन के कारण निवेशक वहां पैसा लगा रहे हैं, जिससे भारतीय बाजारों में बिकवाली हो रही है।" 
मुनाफावसूली 
पिछले कुछ दिनों में सेंसेक्स और निफ्टी ने लगातार 6 सेशन की रैली में 3% से अधिक की ग्रोथ दर्ज की। लेकिन प्रमुख आर्थिक संकेतकों की गैर-मौजूदगी में निवेशकों ने मुनाफावसूली करना शुरू कर दिया। HDFC Securities के रिटेल रिसर्च हेड दीपक जसानी ने कहा, "निफ्टी ने कुछ ब्रेक लिया है, और अब 26,250 से 26,475 के बीच रेजिस्टेंस का सामना कर सकता है, जबकि 25,849 के स्तर पर सपोर्ट मिल सकता है।" 
ग्लोबल मार्केट से मिले-जुले संकेत
जहां चीन के PMI आंकड़ों में सुधार हुआ, वहीं जापान के निक्केई 225 में 5% की गिरावट आई। इसी बीच अमेरिकी बाजारों में भी मिलाजुला प्रदर्शन देखा गया, जिससे भारतीय बाजारों में भी असर पड़ा। 
अमेरिकी डेटा और पॉवेल के भाषण से पहले की चिंता
निवेशक अमेरिकी फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल के भाषण और वीक एंड में आने वाले आर्थिक आंकड़ों जैसे नॉनफार्म पेरोल रिपोर्ट और बेरोजगारी दर रिपोर्ट को लेकर अलर्ट हैं, जो ब्याज दरों के फैसलों पर असर डाल सकते हैं। इन कारणों से भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट आई, जिससे निवेशकों के बीच अस्थिरता और बेचैनी बढ़ी। 
-Legend News

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