वृंदावन के डालमिया बाग मामले में मथुरा-वृंदावन विकास प्राधिकरण (MVDA) की भूमिका को लेकर VC एसबी सिंह से कुछ सीधे सवाल पूछना अब बहुत जरूरी हो गया है। इन सवालों का संबंध गुरुकृपा तपोवन नामक उस कथित रियल एस्टेट प्रोजेक्ट से है जो डालमिया बाग पर प्रस्‍तावित है तथा जिसकी गूंज प्रदेश की राजधानी लखनऊ के साथ-साथ देश की राजधानी दिल्ली तक सुनाई दे रही है क्योंकि इसमें निवेशकों का करीब एक हजार करोड़ रुपया फंस गया है। यही नहीं, राष्‍ट्रीय हरित प्राधिकरण (NGT) जहां इस पर जांच कमेटी गठित कर चुका है वहीं शासन के निर्देश से मथुरा-वृंदावन विकास प्राधिकरण की भूमिका को लेकर कमिश्‍नर आगरा मंडल द्वारा भी जांच बैठा दी गई है। इसके अतिरिक्त बाग का मालिक डालमिया परिवार इलाहाबाद हाईकोर्ट जा पहुंचा है। दरअसल, इन्‍हीं सब स्‍थिति-परिस्‍थितियों के मद्देनजर Legend News ने बुधवार की सुबह 9 बजकर 39 मिनट पर MVDA के VC एसबी सिंह को ये WhatsApp मैसेज भेजा- 
VC महोदय ने Legend News को तो इस मैसेज का कोई जवाब देना जरूरी नहीं समझा अलबत्ता कुछ सिलेक्टेड मीडिया कर्मियों के माध्‍यम से MVDA की भूमिका पर लग रहे दागों को धोने की नाकाम कोशिश अवश्य की। 
VC महोदय को ऐसा शायद इसलिए उपयुक्त लगा होगा क्योंकि सिलेक्टेड मीडियाकर्मी सवाल नहीं उठाते, कोई Cross question नहीं करते। 
बहरहाल, VC एसबी सिंह के हवाले से गुरुवार सुबह छपी खबरों के मुताबिक 'तपोवन' के नाम से एक लेआउट 15 अगस्त 2024 को स्वीकृति के लिए पोर्टल पर अपलोड किया गया है। पेड़ों का कटान 18/19 सितंबर की रात किया गया था, जिस कारण अब 'तपोवन' के मानचित्र पर उनके द्वारा NGT में निस्‍तारण न होने तक रोक लगा दी गई है। 
VC महोदय का कथन है कि 'तपोवन' का नक्शा फिलहाल लखनऊ स्‍तर पर स्‍क्रूटनी सेल में विचाराधीन है तथा MVDA को प्राप्त नहीं हुआ है लिहाजा न तो वह MVDA में विचाराधीन है और न ही स्वीकृत किया गया है। 
VC महोदय के अनुसार पोर्टल पर दर्ज अभिलेखों में भूमि के मालिक का नाम नारायण प्रसाद डालमिया अंकित है। 
डालमिया बाग पर प्रस्तावित आवासीय प्रोजेक्ट को लेकिर VC महोदय का यह एक जवाब ही तमाम नए सवाल खड़े कर रहा है और MVDA की भूमिका पर संदेह तथा नक्शे पर भ्रम की स्‍थिति बढ़ा रहा है। ऐसा लग रहा है जैसे बड़ी शिद्दत से उस पूरे अमले को बचाने की कोशिश की जा रही है जिसने कृष्‍ण की जन्मस्‍थली पर कलंक लगाने का काम किया है। 
फोन रिसीव न करने, कॉल बैक न करने, मैसेज का उत्तर न देने तथा आरटीआई का भी संतोषजनक जवाब न देने के लिए 'कुख्‍यात' MVDA को इस बार खड़े हो रहे सवालों के जवाब किसी न किसी स्‍तर पर तो देने ही होंगे क्‍योंकि अब समय रहते ये उत्तर नहीं दिए गए तो अंतत: न्‍यापालिका सारे उत्तर मांगेगी। 
जो भी हो, VC महोदय का जवाब जो कुछ महत्वपूर्ण सवाल खड़े करता है उनमें सबसे पहला सवाल तो यह है कि पोर्टल पर अपलोड किए जाने वाले नक्शों की सूचना संबंधित प्राधिकरण तक कैसे पहुंचती है और इस सूचना को पहुंचने में कितना समय लगता है? 
2- क्या किसी नक्शे को स्‍वीकृति देने की कोई समय-सीमा शासन स्‍तर से निर्धारित है या प्राधिकरण अपनी सुविधानुसार समय तय करता है? 
3- गुरुकृपा तपोवन का नक्शा स्‍वीकृति के लिए पोर्टल पर अपलोड करने की जानकारी MVDA को कब लगी, वृक्षों के अवैध कटान से पहले या बाद में? 
4- वृक्षों का अवैध कटान हुए एक महीने से ऊपर का समय बीत चुका है और NGT में दायर याचिकाओं पर जांच बैठाए भी 25 दिन हो गए हैं, लेकिन MVDA अब जाकर क्यों बता रहा है कि उसने गुरुकृपा तपोवन के नक्शे पर रोक लगा दी है। 
5- क्या NGT ने MVDA को इस आशय के कोई आदेश-निर्देश दिए हैं या उसने स्‍वत: संज्ञान लिया है? 
6- यदि MVDA ने स्‍वत: संज्ञान लिया है तो यह तब क्यों नहीं लिया गया जब पेड़ कटने के बाद हंगामा मचना शुरू हुआ और यह बात जानकारी में आई कि न तो गुरुकृपा तपोवन का अभी कोई नक्शा पास हुआ है और न उस भूमि की रजिस्‍ट्री हुई है जिस पर यह प्रोजेक्ट प्रस्‍तावित बताया गया? 
7- डालमिया परिवार द्वारा इलाहाबाद हाईकोर्ट को दी गई सूचना बताती है कि उसने अपनी भूमि का कोई नक्शा स्‍वीकृति के लिए नहीं भेजा। न वो गुरुकृपा तपोवन से और न शंकर सेठ नामक किसी व्‍यक्ति से परिचित है। डालमिया परिवार का तो यहां तक कहना है कि उनके यहां शंकर सेठ नाम का कोई नौकर भी नहीं है। तो फिर नारायण प्रसाद डालमिया के नाम से गुरुकृपा तपोवन का नक्शा स्‍वीकृति के लिए किसने पोर्टल पर अपलोड कर दिया और नक्शा अपलोड करने वाले का उद्देश्‍य क्या था? 
8- मथुरा-वृंदावन में प्रस्‍तावित प्रोजेक्ट्स की पूरी जानकारी स्‍क्रूटनी सेल को देने का जिम्मा किसका है? 
9- स्‍क्रूटनी का मतलब ही होता है किसी चीज़ के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करने के लिए उसकी सावधानीपूर्वक और विस्तृत जांच करना, तो क्या स्‍क्रूटनी सेल दो महीने बाद भी यह पता लगाने में असमर्थ है कि नारायण दास डालमिया तथा गुरूकृपा बिल्डर्स के बीच कोई व्‍यावसायिक संबंध है भी या नहीं? 
10- क्या MVDA आज भी यह स्‍पष्‍ट कर सकता है कि डालमिया बाग पर प्रोजेक्ट की स्‍वीकृति के लिए गुरुकृपा तपोवन ने अपने मालिकाना हक साबित करने के पक्ष में तथा नक्शा पास कराने के लिए जरूरी अन्य दस्‍तावेजों में कौन-कौन से पेपर्स सबमिट किए हैं? 
11- VC महोदय के अनुसार जो नक्शा स्‍वीकृति के लिए अपलोड किया है, वो मात्र 'तपोवन' के नाम से है जबकि नक्शे में प्रोजेक्ट का नाम साफ-साफ गुरुकृपा तपोवन लिखा है जो शंकर सेठ की फर्म का नाम है। तो क्या पूरा नाम न बताने के पीछे भी कोई कारण है?
 
प्रश्‍न और भी बहुत हैं किंतु फिलहाल इनके ही जवाब मिल जाएं तो काफी हद तक भ्रम दूर हो सकता है अन्यथा MVDA की भूमिका पर संदेह कम होने की बजाय बढ़ेगा ही क्योंकि MVDA की कार्यप्रणाली पहले ही हमेशा से संदेह के घेरे में रहती है। 
VC महोदय चूंकि पहले भी कृष्‍ण की इस नगरी में अपनी सेवाएं दे चुके हैं तो वह भलीभांति इस सच्‍चाई से वाकिफ होंगे। फिर अब तो मामला एक इतने बड़े घपले से जुड़ा है जिसे सिर्फ एक नक्शे से अंजाम दे दिया गया। ऐसे में जांच होगी तो दूर तक जाएगी ही। NGT इस पर अपना क्या निर्णय देता है, इसका MVDA से दूर-दूर तक कोई वास्‍ता फिलहाल नजर नहीं आता। 
बेहतर होगा कि मूल प्रश्‍नों को भटकाने की जगह मुद्दे की बात की जाए, और मुद्दा यही है कि 15 अगस्‍त को गुरुकृपा तपोवन का जो नक्शा अपलोड करके या उससे भी पहले हजार करोड़ से अधिक का फ्रॉड किया गया उसमें प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से किस-किस ने भूमिका अदा की है तथा उस भूमिका के एवज में क्या-क्या हासिल किया है? 
-सुरेन्‍द्र चतुर्वेदी

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