भारत की दिग्गज महिला बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधू पेरिस ओलंपिक-2024 से बाहर हो गई हैं। इस हार के बाद सिंधू ने कहा है कि वह इस बात को लेकर आश्वस्त नहीं हैं कि वह चार साल बाद लॉस एंजेल्स में होने वाले ओलंपिक खेलों तक खेलेंगी या नहीं।
पेरिस ओलंपिक में सिंधू का सफर प्री-क्वार्टर फाइनल में ही थम गया। उन्हें चीन की खिलाड़ी ही बिंग जिओ ने मात दी और इसी के साथ सिंधू का ओलंपिक मेडल की हैट्रिक लगाने का सपना भी चकनाचूर हो गया। इस हार से सिंधू निश्चित तौर पर काफी निराश हैं और मैच के बाद उन्होंने अपने रिटायरमेंट के बारे में बात की है। 
अभी चार साल हैं
सिंधु की नजरें इस बार लगातार तीसरा ओलंपिक मेडल जीतने पर थीं। उन्होंने रियो ओलंपिक-2016 में सिल्वर और टोक्यो ओलंपिक-2020 में भारत को ब्रॉन्ज मेडल दिलाया था। इस बार भी वह मेडल की दावेदार थीं, लेकिन सपना पूरा नहीं कर पाईं। अपने आगे के करियर को लेकर सिंधू ने कहा अभी अगले ओलंपिक में चार साल हैं इसलिए वह इसके बारे में नहीं सोच रही हैं। 
समाचार एजेंसी पीटीआई ने सिंधू के हवाले से लिखा- "ये (ओलंपिक) अभी चार साल दूर है। मैं अभी तो वापस जाकर आराम करूंगी। थोड़ा ब्रेक लूंगी और उसके बाद वापसी करूंगी। फिर देखते हैं क्या होता है क्योंकि चार साल का समय काफी लंबा समय है। इसलिए देखते हैं।"
शानदार रहा सफर
सिंधू ने कहा कि उनका अभी तक का सफर शानदार रहा है। सिंधू ने कहा, कुछ उतार-चढ़ाव आए लेकिन मैंने चोट से वापसी की। हर चीज अच्छी जा रही थी। आप ये उम्मीद नहीं कर सकते कि आपको आसान जीतें मिलेंगी या आपकी फॉर्म सही समय पर आ जाएगी। कई बार ये आपका दिन नहीं होता है। हम सभी ने कड़ी मेहनत की।"
पेरिस ओलंपिक में मिली हार को लेकर सिंधू ने कहा कि वह गेम को और बेहतर तरीके से कंट्रोल कर सकती थीं। उन्होंने कहा, "मैंने डिफेंस में कुछ गलतियां की जिन्हें मैं कंट्रोल कर सकती थी। हम सभी ने कड़ी मेहनत की। हमने वो किया जो हम कर सकते थे। बाकी किस्मत है। मुझे पछतावा नहीं है। 
पिछले दो ओलंपिक में जीते थे मेडल
गौरतलब है कि पीवी सिंधु ने पिछले दोनों ओलंपिक में मेडल जीते थे। 2016 के रियो ओलंपिक में भारतीय शटलर ने सिल्वर मेडल जीता था। इसके अलावा 2020 को टोक्यो ओलंपिक में सिंधु ने ब्रॉन्ज मेडल पर कब्ज़ा किया था। इस बार पेरिस ओलंपिक में उनसे गोल्ड मेडल की उम्मीद की जा रही थी। हालांकि इस ओलंपिक में उनके हाथ कोई भी मेडल नहीं लग सका। 
1 दिन में 5 स्टार के मेडल की उम्मीद खत्म
भारत के लिए बैडमिंटन में सबसे दुर्भाग्यशाली रहा एच एस प्रणय और लक्ष्य सेन का आपस में खेला गया मुकाबला। दोनों के बीच अगर फाइनल में मुकाबला हुआ होता तो कम से कम एक खिलाड़ी फाइनल में जाता और एक के पास कांस्य पदक जीतने का मौका होता। प्रणय और लक्ष्य दोनों ही मेडल के दावेदार थे लेकिन एक साथ मैच होने की वजह से भारत का एक मेडल की उम्मीद खत्म हो गई। 
वर्ल्ड चैंपियन बनने के बाद निकहत जरीन से मेडल की उम्मीदें बढ़ी हुई थीं। प्री-क्वार्टर फाइनल उनका सपना टूट गया। टॉप सीड चीन की वू यू ने आसान जीत दर्ज की। 50 किग्रा कैटेगरी में खेलने उतरी निकहत को 0-5 से चीनी मुक्केबाज के खिलाफ हार मिली।
-Legend News

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