लोकसभा चुनाव 2024 के परिणामों ने यूपी में योगी आदित्यनाथ की सरपट दौड़ती राजनीति पर जैसे एक प्रकार का अंकुश लगा दिया है। सतही तौर पर भारतीय जनता पार्टी सब-कुछ ठीक-ठाक दिखाने या यूं कहें कि सब दुरुस्त कर लेने का दिखावा जरूर कर रही है किंतु कहीं न कहीं कुछ ऐसा है जो खटक रहा है। 
गौर करेंगे तो पता लगेगा कि अयोध्‍या (फैजाबाद) में पार्टी को मिली हार अंदर तक कचोट रही है क्योंकि अयोध्या, मथुरा और काशी से हार के बारे में किसी ने सोचा तक नहीं था। 
चूंकि काशी (वाराणसी) से तो खुद पीएम मोदी चुनाव मैदान में थे इसलिए पार्टी आश्‍वस्त थी। हालांकि मोदी जी के जीत का अंतर कम होना किसी बड़े आश्‍चर्य जैसा रहा। 
उधर, अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण बड़ा सहारा था इसलिए माना जा रहा था कि फैजाबाद लोकसभा सीट पर भाजपा को विजय मिलना तय है किंतु ऐसा नहीं हुआ और पार्टी पर एक बड़ा सा सवालिया निशान लग गया। 
बहरहाल, यूपी के तीनों प्रमुख धार्मिक स्‍थलों में मथुरा से हेमा मालिनी के सामने विपक्ष का कोई कद्दावर नेता ही खड़ा नहीं हुआ लिहाजा जीत सुनिश्चित थी, लेकिन यह पहली बार हुआ कि मथुरा की जनता हेमा मालिनी को जिताकर भी खुश नहीं हुई। 
उसे आज भी भारी मलाल है कि भाजपा ने उसके माथे एक ऐसी सांसद मढ़ दी जिसके पिछले दो कार्यकालों की कोई उल्‍लेखनीय उपलब्‍धि नहीं है। जो सिर्फ आत्ममुग्ध हैं और फिल्मी दुनिया से मिले अपने 'स्‍वप्‍न सुंदरी' के खिताब को सार्थक कर रही हैं। 
संभवत: यही कारण है कि ब्रजवासियों के मन में यहां के भविष्य तथा उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद को लेकर कुछ सवाल हैं क्योंकि शॉर्ट में UPBTVP कहलाने वाली इस संस्था की न तो दशा का पता है और न दिशा का। 
माननीय मुख्‍यमंत्री जी, ब्रजवासी इसके बारे में आपसे इसलिए भी जानकारी चाहते हैं क्‍योंकि आप इसके अध्‍यक्ष हैं। वो चाहते हैं कि उनके सवाल आप संस्‍था के बाकी जिम्मेदार अधिकारियों से पूछें ताकि सच्‍चाई सबको पता लग सके।  
1- माननीय मुख्‍यमंत्री जी, सर्वप्रथम तो ब्रजवासी यह जानने को उत्सुक हैं कि उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद के अधिकारी और कर्मचारी वैतनिक हैं अथवा अवैतनिक? 
अगर उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद से जुड़े अधिकारी और कर्मचारी वैतनिक हैं तो उन्‍हें कितना वेतन-भत्ता मिलता है और किस मद से मिलता है? 
2- ब्रजवासियों का दूसरा सवाल यह है कि उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद में सेवा देने वाले लोगों का स्‍थानांतरण होता है या उन्‍हें सदा के लिए एक ही स्‍थान पर तैनाती दी गई है? 
यदि स्‍थानांतरण होता है तो ऐसा क्यों हैं कि कुछ लोग इसकी स्‍थापना के दिन से आज तक एक ही जगह पर काबिज हैं? 
3- उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद ने अब तक कितने काम किए हैं, उन कामों पर कितनी धनराशि खर्च हुई है, और वह धनराशि उसे कहां से प्राप्‍त हुई? 
यदि राज्य अथवा केंद्र सरकार ने यह धनराशि UPBTVP को उपलब्ध कराई है तो उसका आंकड़ा कितना है तथा खर्च हुई धनराशि एवं शेष धनराशि का ब्यौरा क्या है? 
चूंकि ब्रजवासियों की जानकारी में उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद के किसी जिम्मेदार अधिकारी ने इसकी स्‍थापना के दिन से आज तक अपने कार्यों और उस पर हुए खर्चों का कोई लेखा-जोखा सार्वजनिक नहीं किया इसलिए किसी को नहीं मालूम कि परिषद की आर्थिक स्‍थिति कैसी है? 
4- माननीय मुख्‍यमंत्री महोदय, ब्रजवासी ये भी जानना चाहते हैं कि आज की तारीख में उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद को ब्रज क्षेत्र के कितने विकास कार्यों की जिम्मेदारी सौंप रखी है और उनकी गति तथा प्रगति क्या है? 
5- ब्रजवासी चाहते हैं कि उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद के कार्यालय का कांटेक्ट नंबर सबको पता हो। साथ ही उन्‍हें यह भी ज्ञात हो कि मथुरा में मौजूद परिषद के अधिकारियों पर भी अपने फोन रिसीव करने, लोगों को इससे जुड़ी जानकारी देने तथा नंबर रिसीव न हो पाने की स्‍थिति में पलटकर कॉल करने का शासनदेश लागू होता है अथवा वह इस सबसे मुक्त हैं? 
6- माननीय योगी जी, आपको ये भी पता होगा कि उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद की कार्यदायी संस्‍था 'मथुरा-वृंदावन विकास प्राधिकरण' है लेकिन शायद मथुरा-वृंदावन विकास प्राधिकरण को यह नहीं मालूम, जबकि उसके उपाध्‍यक्ष महोदय ही परिषद के सीईओ भी हैं।
 
ऐसा इसलिए कि आज तक उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद के सीईओ तथा उसकी कार्यदायी संस्‍था के उपाध्‍यक्ष की हैसियत से उन्‍होंने अथवा उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद के उपाध्‍यक्ष शैलजाकांत मिश्र ने शायद ही कभी किसी को कोई जानकारी दी हो, यहां तक कि मीडिया के लोगों को भी नहीं। उसका बड़ा कारण यह है कि मथुरा-वृंदावन विकास प्राधिकरण को अपने गोरखधंधों से ही फुरसत नहीं मिलती।  
मुख्‍यमंत्री जी, आपके संज्ञान में आया होगा कि मात्र एक हफ्ते पहले मथुरा वृंदावन विकास प्राधिकरण ने एक ऐसा कारनामा कर दिखाया जिसे सुनकर लोग दांतों तले उंगली दबाने पर मजबूर हो गए। जिसने सुना, उसकी आंखें फटी की फटी रह गईं। 
मथुरा-वृंदावन विकास प्राधिकरण के रुक्मणी विहार स्‍थित आवासीय भूखंड की ऑनलाइन नीलामी में 300 वर्ग मीटर के एक भूखंड की कीमत 30 करोड़ रुपए लगा दी गई जबकि उसकी अनुमानित कीमत प्राधिकरण ने 60 लाख रुपए रखी थी। 
इसी प्रकार 288 वर्ग मीटर के एक अन्य भूखंड के लिए 19 करोड़ 11 लाख रुपये की बोली लगाई गई जिसका बेस प्राइज 58.32 लाख रुपये था। 
मुख्यमंत्री महोदय, भूमाफिया की मिलीभगत से खेले गए नीलामी के इस खेल का मकसद क्या था और अंतत: इसका लाभ किस-किस को मिलना है... यह तो शायद बताने की भी जरूरत नहीं है लेकिन आश्चर्य इस बात पर है कि इतने बड़े खेल के सूत्रधार किसी के प्रति जवाबदेह नहीं हैं। क्या इसकी जांच नहीं होनी चाहिए?
 
माननीय योगी जी, उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद और मथुरा-वृंदावन विकास प्राधिकरण द्वारा खेले जाने वाले बड़े-बड़े खेलों में से ये तो एक बानगीभर है। अगर इसकी तह में जाने का प्रयास किया जाएगा तो उसके प्रमाण पूरे ब्रज क्षेत्र में चारों ओर फैले मिल जाएंगे। 
वो क्षेत्र जहां विकास प्राधिकरण के अधिकारी एवं कर्मचारी सुबह से शाम तक ड्यूटी की आड़ में उन जगहों को सूंघते फिरते हैं जहां से अवैध निर्माण की सुगंध मिलती है क्‍योंकि वही उनकी ठोस आमदनी का जरिया बनता है।
 
मुख्‍यमंत्री महोदय, आप राजनीति में आने से पहले 'योगी' थे इसलिए जानते होंगे कि रुके हुए पानी से भी सड़ांध आने लगती है। उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद हो या उसकी कार्यदायी संस्‍था 'मथुरा-वृंदावन विकास प्राधिकरण', दोनों किसी भी स्‍तर पर गतिमान नहीं हैं। 
आपकी भ्रष्‍टाचार को लेकर जीरो टॉलरेंस वाली नीति यदि किसी एंगल से इन संस्‍थाओं पर लागू होती हो तो कृपया जल्द संज्ञान लें अन्यथा अयोध्‍या के साथ 'मथुरा' का नाम जुड़ने में बहुत देर नहीं है। 
सत्ता में रहते तीन वर्ष का शेष कार्यकाल कब बीत जाएगा, पता भी नहीं लगेगा। 2027 सामने खड़ा दिखाई देगा और तय है कि इस बार जनता, पार्टी की गलतियों का खामियाजा भुगतने को कतई तैयार नहीं होगी। 
हेमा मालिनी की जीत को पार्टी यदि अपवाद मानकर चलेगी, तो उसके लिए और यूपी के लिए उचित होगा अन्यथा अयोध्‍या की तरह परिणाम चौंका भी सकते हैं। जय हिंद, जय भारत! 
-सुरेन्‍द्र चतुर्वेदी 

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