भारत के विदेश मंत्री डॉक्टर एस जयशंकर ने लंदन में कश्मीर के मुद्दे पर बात करते हुए कहा कि 'जिस दिन हमें पाकिस्तानी क़ब्जे़ वाले हिस्से वापस मिल जाएंगे, उस दिन कश्मीर का मुद्दा सुलझ जाएगा'। 
जयशंकर ने लंदन स्थित थिंकटैंक चैथम हाउस में एक कार्यक्रम "विश्व में भारत का उदय और भूमिका" के दौरान ये बात कही। जयशंकर से पाक पत्रकार निसार ने सवाल किया था कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ अपने संबंधों का इस्तेमाल कश्मीर समस्या को हल करने के लिए कर सकते हैं। इस पर जयशंकर ने कहा कि समस्या बचेगी ही नहीं, अगर पाकिस्तान कश्मीर के एक हिस्से (पीओके) से अपना कब्जा छोड़ दे। 
उन्होंने बातचीत में कहा, "कश्मीर में हमने इसके ज़्यादातर मुद्दों को हल करने के लिए अच्छा काम किया है। मुझे लगता है कि अनुच्छेद 370 को हटाना पहला कदम था।"
विदेश मंत्री ने आगे कहा कि "फिर कश्मीर में विकास, आर्थिक गतिविधि और सामाजिक न्याय को बहाल करना दूसरा और चुनाव कराना जिसमें बहुत अधिक मतदान हुआ, तीसरा कदम था।"
उन्होंने कहा- "मुझे लगता है कि हम जिस हिस्से का इंतजार कर रहे हैं, वह कश्मीर का चुराया हुआ हिस्सा वापसी लेना है जो अवैध पाकिस्तानी कब्जे में है. जब ये हो जाएगा तो मैं आपको आश्वासन देता हूं, कश्मीर का मुद्दा हल हो जाएगा।" 
मानवाधिकार पर भारत को घेरना गलत
चैथम हाउस में कश्मीर और मानवाधिकारों पर जयशंकर से कई सवाल किए गए। जयशंकर ने कश्मीर में मानवाधिकार उल्लंघन के आरोपों पर कहा कि हमें राजनीतिक कारणों से इस मुद्दे पर आलोचना का सामना करना पड़ता है। कुछ स्थितियों में सुधार की जरूरत होती है लेकिन भारत का मानवाधिकार रिकॉर्ड दुनिया के दूसरे देशों के मुकाबले अच्छा है। भारत में मानवाधिकारों पर किसी भी तरह की व्यापक चिंता गलत है। 
चीन के साथ भारत के रिश्ते के सवाल पर विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि दोनों का इतिहास बहुत पुराना है, जिसमें समय के साथ उतार-चढ़ाव आए हैं। आज दोनों देश रिश्ते बेहतर करने की ओर बढ़ रहे हैं। मुख्य मुद्दा यह है कि संबंधों में कैसे एक स्थिर संतुलन बनाया जाए। हम एक स्थिर संबंध चाहते हैं, जहां हमारे हितों का सम्मान किया जाए। 
पाकिस्तान को चेताते रहे हैं जयशंकर
एस जयंशकर ने कश्मीर मामले पर लगातार कड़ा रुख दिखाया है। बीते साल भी जयशंकर ने कहा था कि पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर भारत का हिस्सा है और हर भारतीय राजनीतिक दल यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि पीओके भारत को वापस मिले। यह हमारी राष्ट्रीय प्रतिबद्धता है। उन्होंने ये भी कहा था कि पीओके के मुद्दे को फिर से लोगों की चेतना में लाया गया है। 
चीन मुद्दे पर क्या बोले विदेश मंत्री
वहीं भारत चीन के साथ किस तरह का रिश्ता चाहता है? इस सवाल पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि हमारे बीच बहुत ही अनोखे रिश्ते हैं। हम दुनिया के दो ऐसे देश हैं जिनकी आबादी एक अरब से ज्यादा है। हम दोनों का इतिहास बहुत पुराना है, जिसमें समय के साथ उतार-चढ़ाव आए हैं। उन्होंने कहा कि आज दोनों देश आगे बढ़ रहे हैं हम सीधे पड़ोसी भी हैं। चुनौती यह है कि जैसे-जैसे कोई देश आगे बढ़ता है, दुनिया और उसके पड़ोसियों के साथ उसका संतुलन बदलता है। जब इस आकार, इतिहास, जटिलता और महत्व वाले दो देश समानांतर रूप से आगे बढ़ते हैं तो अनिवार्य रूप से परस्पर काम करते हैं। 
ट्रम्प को लेकर जयशंकर ने क्या कहा? 
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि अमेरिकी विदेश नीति में बदलाव का भारत को फायदा मिलेगा।
जयशंकर ने कहा कि राष्ट्रपति ट्रम्प के नेतृत्व में अमेरिका की विदेश नीति में बदलाव उम्मीद के मुताबिक है। यह कई मायनों में भारत के अनुकूल है क्योंकि ट्रम्प प्रशासन के एक्शन से दुनिया नई व्यवस्था की तरफ बढ़ रही है।
एस जयशंकर 4 से 9 मार्च तक ब्रिटेन और आय़रलैंड की यात्रा पर हैं।  
-Legend News

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