रिपोर्ट : LegendNews
अपने मुखपत्र ऑर्गनाइजर के जरिए RSS ने की राष्ट्रीय जनसंख्या नीति की वकालत
आरएसएस से जुड़ी पत्रिका ऑर्गनाइजर ने अपने लेख में राष्ट्रीय जनसंख्या नीति की मांग की है। इसमें कहा गया है कि इससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि जनसांख्यिकीय परिवर्तन किसी भी धार्मिक समुदाय या क्षेत्र को असंगत रूप से प्रभावित न करें। लेख में जनसांख्यिकी परिवर्तन को देखते हुए सामाजिक-आर्थिक असमानताएं और राजनीतिक संघर्ष होने की आशंका जताई गई है। ऑर्गनाइजर ने 'बढ़ती मुस्लिम आबादी' और कम जन्म दर के संदर्भ में जनसंख्या असंतुलन का मुद्दा उठाया है। इस साथ ही इससे परिसीमन के दौरान पश्चिमी और दक्षिणी राज्य 'नुकसान' की बात कही गई है। पीएम मोदी के तीसरे कार्यकाल के दौरान परिसीमन होने की उम्मीद है।
मुस्लिमों की बढ़ती जनसंख्या पर चिंता
'डेमोग्राफी, डेमोक्रेसी और डेस्टिनी' शीर्षक वाले लेख में साफ कहा गया है कि जनसंख्या वृद्धि का एक और महत्वपूर्ण आयाम धार्मिक और क्षेत्रीय दोनों ही दृष्टियों से असंतुलन है। राष्ट्रीय स्तर पर जनसंख्या स्थिर होने के बावजूद, यह सभी धर्मों और क्षेत्रों में समान नहीं है। कुछ क्षेत्रों, विशेषकर सीमावर्ती जिलों में मुस्लिम जनसंख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। सीमावर्ती राज्य पश्चिम बंगाल, बिहार, असम और उत्तराखंड में सीमा पार से अवैध प्रवास के कारण अप्राकृतिक जनसंख्या वृद्धि देखी जा रही है। लोकतंत्र में, जब प्रतिनिधित्व के लिए संख्याएं महत्वपूर्ण होती हैं और जनसांख्यिकी नियति तय करती है, तो हमें इस प्रवृत्ति के प्रति और भी अधिक सतर्क रहना चाहिए।
राहुल, ममता समेत द्रविड़ दलों पर निशाना
लेख में आगे कहा गया है कि राहुल गांधी जैसे राजनेता कभी-कभी हिंदू भावनाओं का अपमान करने का जोखिम उठा सकते हैं। ममता इस्लामवादियों द्वारा महिलाओं पर अत्याचारों को स्वीकार करने के लिए भी मुस्लिम कार्ड खेल सकती हैं। द्रविड़ पार्टियां जनसंख्या असंतुलन के साथ विकसित तथाकथित अल्पसंख्यक वोट-बैंक के एकीकरण पर विश्वास करके सनातन धर्म को गाली देने में गर्व महसूस कर सकती हैं। लेख के अनुसार विभाजन की भयावहता और पश्चिम एशियाई और अफ्रीकी देशों से राजनीतिक रूप से सही लेकिन सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से गलत प्रवासन के साथ जो हो रहा है, उससे सीखते हुए, हमें इस मुद्दे को तत्काल हल करना होगा। इस बात को विभिन्न राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रस्तावों और न्यायिक घोषणाओं द्वारा बताया गया है।
पश्चिम, दक्षिण राज्यों का बेहतर प्रदर्शन
लेख के अनुसार क्षेत्रीय असंतुलन एक और महत्वपूर्ण आयाम है जो भविष्य में संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों की परिसीमन प्रक्रिया को प्रभावित करेगा। पश्चिम और दक्षिण के राज्य जनसंख्या नियंत्रण उपायों के संबंध में अपेक्षाकृत बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। इसलिए, जनगणना के बाद आधार जनसंख्या में बदलाव होने पर संसद में कुछ सीटें खोने का डर है। लेख के अनुसार ऐसी नीतियों की आवश्यकता है जो यह सुनिश्चित करें कि जनसंख्या वृद्धि किसी एक धार्मिक समुदाय या क्षेत्र को असंगत रूप से प्रभावित न करे। इससे सामाजिक-आर्थिक असमानताएं और राजनीतिक संघर्ष हो सकते हैं।
जनसंख्या, जन्म दर के बारे में क्या कहती है जनगणना
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, जनगणना में हिंदुओं की तुलना में मुसलमानों में अधिक जन्म दर दर्ज की है। दोनों समुदायों की जन्म दर उत्तरोत्तर रूप से एक दूसरे के करीब पहुंच रही है। 1991 से 2011 के बीच मुसलमानों की दशकीय वृद्धि दर में गिरावट हिंदुओं की तुलना में अधिक दर्ज की गई है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS) के आंकड़ों के अनुसार, पिछले दो दशकों में मुसलमानों की प्रजनन दर में सभी धार्मिक समुदायों के मुकाबले सबसे तेज गिरावट देखी गई है। यह NFHS 1 (1992-’93) में 4.4 से NFHS 5 (2019-’21) में में घटकर 2.3 तक पहुंच गई।
-Legend News
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