रिपोर्ट : LegendNews
बीमारी से जूझ रहे प्रसिद्ध बांसुरी वादक दीपक सरमा ने दुनिया को कहा अलविदा
मनोरंजन जगत से एक और दुद खबर सामने आई है। असम के एक और लीजेंड प्रसिद्ध बांसुरी वादक दीपक सरमा ने दुनिया को अलविदा कह दिया है। लंबे समय से बीमारी से जूझ रहे दीपक सरमा का चेन्नई के एक अस्पताल में इलाज चल रहा था, जहां सुबह 6 बजकर 15 मिनट पर उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके निधन की खबर ने न सिर्फ संगीत जगत, बल्कि पूरे असम को शोक में डाल दिया है। यह दुखद खबर ऐसे समय आई है, जब असम अभी तक अपने प्रिय गायक जुबीन गर्ग की असमय मौत के सदमे से पूरी तरह उबर भी नहीं पाया था। असम के लिए यह सिर्फ एक कलाकार की मौत नहीं, बल्कि अपनी विरासत की एक और आवाज खो देने जैसा क्षण है।
डॉक्टरों ने बचाने की पूरी कोशिश की
दीपक सरमा का जीवन संगीत और संघर्ष दोनों से जुड़ा रहा। पिछले कई महीनों से वे गंभीर बीमारियों से जूझ रहे थे। पहले उन्हें गुवाहाटी के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन जब उनकी तबीयत और बिगड़ने लगी तो उन्हें बेहतर इलाज के लिए चेन्नई ले जाया गया। डॉक्टरों ने पूरी कोशिश की, लेकिन वे उन्हें बचा नहीं सके। इस दुखद खबर ने असम के संगीत प्रेमियों को हिला के रख दिया है।
कड़ी मेहनत के दम पर बनाई पहचान
नलबाड़ी जिले के पानीगांव में जन्मे दीपक सरमा को बचपन से ही संगीत, खासकर बांसुरी से गहरा लगाव था। उन्होंने कड़ी मेहनत के दम पर न सिर्फ असम, बल्कि पूरे उत्तर-पूर्व भारत में अपनी पहचान बनाई। बांसुरी पर उनकी पकड़ इतनी बेहतरीन थी कि उनकी हर धुन सीधे लोगों के दिल तक पहुंच जाती थी। उनकी संगीत रचनाओं में असमिया लोकधुनों की मिठास और भारतीय शास्त्रीय संगीत की गहराई खूबसूरती से झलकती थी।
आर्थिक तंगी से गुजर रहे थे कलाकार
दीपक सरमा की बांसुरी की मधुर धुनें असमिया संगीत का ऐसा हिस्सा बन चुकी थीं, जिन्हें सुनकर हर दिल में अपनी मिट्टी की खुशबू महसूस होती थी। उनकी बांसुरी ने असम की नदियों, जंगलों और लोक कथाओं को सुरों में पिरो दिया था। उन्होंने परंपरा और आधुनिकता को एक साथ जोड़ा। संगीत जगत में आने वालों के लिए नया रास्ता बनाया।
कलाकार ही नहीं, दीपक सरमा अपनी विनम्रता और सादगी के लिए भी जाने जाते थे। वे हमेशा कहा करते थे कि संगीत सिर्फ मनोरंजन नहीं, आत्मा से आत्मा को जोड़ने का जरिया है। लेकिन जिंदगी के अंतिम दिनों में ये सुर जैसे दर्द में डूब गए। बीमारी ने उन्हें कमजोर किया और इलाज के भारी खर्चों ने उन्हें आर्थिक रूप से तोड़ दिया। परिवार और दोस्तों ने हरसंभव मदद की, यहां तक कि असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने भी अक्टूबर में 5 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी थी। फिर भी, किस्मत ने साथ नहीं दिया, उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया।
-Legend News

Recent Comments