रिपोर्ट : LegendNews
आसियान में बोले राजनाथ, भारत इसमें अपने रोल को साझेदारी और सहयोग की भावना से देखता है
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शनिवार को मलेशिया के कुआलालंपुर में 'आसियान डिफ़ेंस मिनिस्टर्स मीटिंग प्लस' में हिस्सा लिया। इस बैठक का विषय एडीएमएम-प्लस के 15 वर्षों पर चिंतन और आगे का रास्ता तैयार करना था।
इस दौरान उन्होंने कहा कि भारत आसियान और प्लस देशों के साथ अपने रक्षा सहयोग को क्षेत्रीय शांति, स्थिरता और विकास में योगदान के रूप में अपना रोल देखता है।
उन्होंने कहा, भारत इस फ़्रेमवर्क में अपने रोल को एक साझेदारी और सहयोग की भावना से देखता है। हमारा दृष्टिकोण ट्रांजैक्शनल नहीं, बल्कि लॉन्ग टर्म और प्रिंसिपल ड्रिवेन है। हम मानते हैं कि हिंद-प्रशांत खुला, समावेशी और किसी प्रकार के दबाव से मुक्त होना चाहिए।
राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत 'म्युचुअल एंड हॉलिस्टिक एडवांसमेंट फ़ॉर सिक्योरिटी एंड ग्रोथ अक्रॉस रीजन' यानी 'महासागर' की भावना के अनुरूप बातचीत, साझेदारी और सहयोग के लिए तैयार है।
भारत की एक्ट ईस्ट नीति का आसियान जरूरी हिस्सा
राजनाथ सिंह ने कहा, भारत आसियान डिफेंस मिनिस्टर्स मीटिंग-प्लस की शुरुआत से ही एक सक्रिय भागीदार रहा है। भारत के लिए आसियान की रक्षा मंत्रियों की ये बैठक 'एक्ट ईस्ट पॉलिसी' और हिंद प्रशांत महासागर क्षेत्र के हमारे विजन का एक जरूरी हिस्सा रही है। आसियान के साथ भारत का जुड़ाव आसियान के रक्षा मंत्रियों की बैठक शुरू होने से पहले का है, लेकिन इस तंत्र ने एक संगठित रक्षा मंच मुहैया कराया है जो इसके कूटनीतिक और आर्थिक पहलुओं को पूरा करता है। 2022 में आसियान-भारत साझेदारी को रणनीतिक साझेदारी में बदला गया, यह न केवल भारत-आसियान के संबंधों की मजबूती को दिखाता है बल्कि क्षेत्रीय प्राथमिकताओं के बढ़ते तालमेल को भी दिखाता है।
एक्ट ईस्ट पॉलिसी क्या है?
भारत सरकार ने नवंबर 2014 में एक्ट ईस्ट पॉलिसी की शुरुआत की, यह लुक ईस्ट पॉलिसी का अपग्रेड है। यह विभिन्न स्तरों पर एशिया-प्रशांत क्षेत्र के साथ आर्थिक, रणनीतिक और सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ावा देने की एक राजनयिक पहल है। इसमें द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और बहुपक्षीय स्तरों पर कनेक्टिविटी, व्यापार, संस्कृति, रक्षा तथा लोगों से लोगों के बीच संपर्क के क्षेत्र में दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के साथ जुड़ाव की नीति है।
इससे पहले आसियान शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेते हुए पीएम मोदी ने कहा था कि 21वीं सदी भारत और आसियान की सदी है। मलेशिया में आसियान-भारत शिखर सम्मेलन को वर्चुअल माध्यम से संबोधित करते हुए, श्री मोदी ने कहा कि भारत और आसियान मिलकर दुनिया की लगभग एक-चौथाई आबादी का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्होंने कहा कि भारत और आसियान न केवल भौगोलिक रूप से जुड़े हैं, बल्कि मबजूत ऐतिहासिक संबंधों और साझा मूल्यों के सूत्र में भी बंधे हैं।
पीएम मोदी ने कहा था कि अनिश्चितताओं के इस दौर में भी, भारत-आसियान व्यापक रणनीतिक साझेदारी में लगातार प्रगति हुई है। उन्होंने कहा कि यह मज़बूत साझेदारी वैश्विक स्थिरता और विकास के लिए एक मज़बूत आधार के रूप में उभरी है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत हर आपदा में अपने आसियान मित्रों के साथ मजबूती से खड़ा रहा है। उन्होंने कहा कि समुद्री आपदा प्रबंधन, सुरक्षा और नीली अर्थव्यवस्था में सहयोग तेज़ी से बढ़ रहा है। उन्होंने 2026 को “आसियान-भारत समुद्री सहयोग वर्ष” भी घोषित किया।
आसियान में कितने देश हैं शामिल
एडीएमए दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्र संघ के अंदर सर्वोच्च रक्षा परामर्शदात्री और सहयोगात्मक तत्र के रूप में काम करता है. इसमें आसियान देश शामिल हैं, जैसे- कंबोडिया, ब्रुनेई, मलेशिया, सिंगापुर, इंडोनेशिया, तिमोर-लेस्ते, म्यांमार, वियतनाम, लाओ पीडीआर, थाईलैंड और फिलीपींस शामिल हैं. इसमें आठ संवाद साझेदार भी शामिल हैं, जैसे- भारत, रूस, जापान, दक्षिण कोरिया, चीन, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और अमेरिका।
कब हुई थी पहली ADMM-प्लस बैठक?
साल 1992 में भारत आसियान का एक संवाद भागीदार बना है। पहली ADMM-प्लस बैठक अक्टूबर 2010 में वियतनाम के हनोई में आयोजित हुई थी। ADMM-प्लस का आयोजन 2017 से आसियान और उसके सहयोगी देशों के बीच रक्षा सहयोग को बढ़ावा देने के लिए हर वर्ष किया जाने लगा है। वर्तमान में भारत 2024-2027 तक के लिए मलेशिया के साथ आतंकवाद-निरोध पर एक्सपर्ट वर्किंग ग्रुप का सह अध्यक्ष है।
-Legend News

Recent Comments