भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साइप्रस की धरती से पाकिस्तान के दोस्त तुर्की को सीधा और सख्त संदेश दे दिया है। साइप्रस की यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उस जगह पर पहुंचे तो तुर्की के राष्ट्रपति और मुस्लिम दुनिया का खलीफा बनने का सपना देख रहे रेचेप तैयप एर्दोगन की आंख में कांटे की तरह चुभती है। यह जगह है साइप्रस द्वीप की ग्रीन लाइन, जो स्वतंत्र साइप्रस गणराज्य और तुर्की के कब्जे वाले क्षेत्रों के बीच द्वीप को बांटती है। साइप्रस के राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडोलाइड्स सोमवार को प्रधानमंत्री मोदी को इसी ग्रीन लाइन पर लेकर गए।
ग्रीन लाइन से पीएम मोदी का तगड़ा संदेश
ग्रीन लाइन पर पीएम मोदी के दौरे का बहुत महत्व है। ग्रीक जर्नलिस्ट और पूर्वी भूमध्य सागर की जियो पॉलिटिक्स पर नजर रखने वाले पॉल एंटोनोपाउलस ने इसे एर्दोगन के लिए तगड़ा संदेश बताया है कि भारत अब पीछे नहीं हटेगा। खासतौर पर जब तुर्की भारत के जम्मू-कश्मीर पर पाकिस्तान के कब्जे, आतंकवादियों को फंडिंग, हथियार और प्रशिक्षण देने का समर्थन करता है। 
कश्मीर पर तुर्की को भारत का जवाब
एक्स पर एक पोस्ट में पॉल ने कहा कि भारत अब एक वैश्विक शक्ति है और वैश्विक मुद्दों में शामिल हो रहा है। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर साइप्रस ने कश्मीर मुद्दे पर भारत का लगातार समर्थन किया है और भारत ने हमेशा तुर्की के कब्जे के खिलाफ साइप्रस का समर्थन किया है, लेकिन अब चीजें एक पायदान ऊपर जा रही हैं। पीएम मोदी को साइप्रस के मुद्दे को समझाने के लिए राष्ट्रपति क्रिस्टोडोलाइड्स व्यक्तिगत रूप से उन्हें ले जा रहे हैं। पॉल ने इसे महत्वपूर्ण बताया। 
एर्दोगन को होगा पछतावा
पॉल ने आने वाले वर्षों में भारत-ग्रीस-साइप्रस गठबंधन के और गहरे और विकसित होने की उम्मीद जताई और कहा कि तुर्की को कश्मीर मुद्दे के बीच में कूदने के अपने फैसले पर पछतावा होगा। ठीक उसी तरह पाकिस्तान को भी ग्रीस और साइप्रस के खिलाफ अपने लगातार उकसावे पर पछतावा होगा। कश्मीर पर एर्दोगन के समर्थन के बदले पाकिस्तान भी उत्तरी साइप्रस पर तुर्की के कब्जे को समर्थन देता है। 
-Legend News

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