एक बच्‍चे की जिंदगी में कई पड़ाव आते हैं। पहली बार स्‍कूल जाना फिर ट्यूशन जाना शुरू करना, दोस्‍त बनाने की शुरुआत करना, पढ़ाई करना आदि। बचपन के कई स्‍टेजों पर बच्‍चे को खुद को संभालना होता है और खुद को इन नई चीजों के लिए तैयार करना होता है। बच्‍चे की जिंदगी में सबसे बड़ा बदलाव आता है, जब वो टीनएज वर्ल्‍ड में कदम रखता है। शारीरिक बदलावों के अलावा बच्‍चे को सामने आई चुनौतियों के लिए भी खुद को तैयार करना होगा। यह वो समय होता है जब चीजें, रिश्‍ते, मानसिकता और दृष्टिकोण सब बदलना शुरू होता है। 
टीनएज बच्‍चों के पेरेंट्स को ज्‍यादा चौकन्‍ना रहने की जरूरत होती है क्‍योंकि ये उम्र बहुत नाजुक होती है और पता नहीं आपके बच्‍चे को किस परिस्थिति में आपकी जरूरत पड़ जाए। यहां हम आपको कुछ टिप्‍स बता रहे हैं जिनकी मदद से आप टीनएज बच्‍चों की सही परवरिश कर सकते हैं। 
रिश्‍ता मजबूत करना
पेरेंटिंग की जब बात आती है, तब बच्‍चे के साथ अपने रिश्‍ते को मजबूत करना जरूरी है। बढ़ते हुए बच्‍चे बहुत मासूम, निर्भर और अपने पेरेंट्स की सलाह और मदद पर निर्भर होते हैं। इस समय आपको उनकी जिंदगी में अपना रोल बनाना होता है।
​भरोसा करे आप पर 
आप दोनों के बीच का रिश्‍ता ऐसा होना चाहिए कि आपका बच्‍चा आप पर भरोसा कर सके और आपके आसपास उसे सुरक्षित महसूस हो। उसके बचपन में आप जितना उसके लिए उपलब्‍ध रहेंगे, टीनएज उम्र में जाकर उतना ही ज्‍यादा वो आपके करीब रहेगा और आपसे सलाह लेगा। 
मेंटल हेल्‍थ 
भारत में एक चलन है कि यहां पर शारीरिक स्‍वास्‍थ्‍य पर तो ध्‍यान दिया जाता है लेकिन मेंटल हेल्‍थ को इग्‍नोर कर दिया जाता है। टीनएज उम्र में कई चुनौतियां होती हैं और बच्‍चों के सामने कई तरह के शारीरिक, मानसिक और भावनात्‍मक अड़चनें आती हैं इ‍सलिए आपको अपने बच्‍चे को पहले से ही तैयार करना होगा कि उसे इन चीजों को कैसे हैंडल करना है।
दूसरों की सलाह क्‍यों जरूरी है 
टीनएज बच्‍चे जिज्ञासु होने चाहिए। उनके पास सवाल, आइडिया और राय होनी चाहिए लेकिन कई टीनएज बच्‍चों को ये एक्‍सप्रेस करने में दिक्‍कत महसूस हो सकती है। शर्मीले बच्‍चों में यह परेशानी और भी गंभीर होती है। इसीलिए पेरेंट्स को अपने बच्‍चे को निडर होकर अपनी बात कहने के लिए प्रेरित और बढ़ावा देना चाहिए।
थोड़ा स्‍पेस दें 
पेरेंट्स और बच्‍चों के बीच बाउंड्री बनाना जरूरी है। जितना जल्‍दी आप इस चीज को बना लेंगे, उतना ही बेहतर होगा। जब बच्‍चा टीनएज उम्र में आता है तो उसे ज्‍यादा स्‍पेस, आत्मनिर्भरता और आजादी की जरूरत होती है। पैरेंट्स को बच्‍चे की ये नई आदतें बुरी लग सकती हैं लेकिन आप अपने बच्‍चे को खुद को पहचानने और अपनी जिम्‍मेदारियों को समझने का मौका दें।
बॉडी कॉन्फिडेंस लाएं 
अधिकांश किशोर अपने शरीर और अपने लुक को लेकर सजग रहते हैं। दूसरे उनके बारे में क्या सोचते हैं इससे ज्यादा मायने रखता है कि वे अपने बारे में क्या सोचते हैं। अच्‍छा ना दिखने की नेगेटिव फीलिंग, आमतौर पर किशोरों को उनकी सुंदरता और मूल्य पर संदेह करने का कारण बनती हैं। यह, लंबे समय में, उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भारी पड़ सकता है।
माता-पिता को बच्चों में बॉडी पॉजिटिविटी को प्रोत्साहित करना चाहिए। उन्हें आत्मविश्वास, आत्म-प्रेम और देखभाल को बढ़ावा देना चाहिए।
-Compiled by Legend News

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