2008 के मुंबई हमलों ( 26/11 ) के बारे में पाकिस्तानी राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के पूर्व सलाहकार और मौजूदा प्रवक्ता फरहतुल्ला बाबर ने बहुत बड़ा दावा किया है। उन्होंने अपनी नई किताब में लिखा है कि जरदारी ने अपने पिछले कार्यकाल में भारत के साथ शांति बहाल करने के इरादे से परमाणु हथियारों के पहले इस्तेमाल नहीं करने वाला जो ऑफर दिया था, उसी से पाकिस्तानी सेना की खुफिया एजेंसी आईएसआई ( ISI) भड़क गई थी और कुछ ही दिनों के अंदर मुंबई हमलों को अंजाम दे दिया गया था। 
जरदारी के बयान से भड़की आईएसआई 
इंडिया टुडे ने बाबर की किताब 'द जरदारी प्रेसिडेंसी:नाउ इट मस्ट बी टोल्ड' के हवाले से रिपोर्ट दी है कि कैसे दिल्ली में एक मीडिया सम्मेलन के दौरान भारतीय पत्रकार करण थापर को दिए एक सैटेलाइट इंटरव्यू में जरदारी ने भारत को परमाणु हथियार का पहले इस्तेमाल नहीं करने वाले ऑफर ने 'पाकिस्तानी युद्ध प्रेमियों' को भड़का दिया था। 
नो फर्स्ट यूज के ऑफर से भड़की पाक सेना 
बाबर के अनुसार तब जरदारी ने भारत की एकतरफा घोषित नीति के अनुसार ही यह कहकर कि पाकिस्तान भी परमाणु हथियारों का पहले इस्तेमाल नहीं करेगा, पाकिस्तानी सेना में खलबली मचा दी थी। रिपोर्ट के अनुसार बाबर ने अपनी किताब में लिखा है, इंटरव्यू के चार दिनों के अंदर 26 नवबंर 2008 को बदकारियों ने मुंबई में कई हमले किए जिसमें 166 लोग मारे गए। 
शांति की सारी उम्मीदों पर पानी फिरा 
बाबर की दलील है कि यह हमला पाकिस्तानी सेना में मौजूद शक्तिशाली युद्ध प्रेमियों (ISI) की सीधी प्रतिक्रिया थी ताकि भारत के साथ किसी भी संभावित शांति प्रयासों को रोका जा सके। बाबर का दावा है कि इसकी वजह से आने वाले वर्षों में दोनों देश युद्ध के करीब आ गए और शांति की सारी उम्मीदों पर पानी फिर गया। 
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि जरदारी ने शांति वाला वह ऑफर 22 नवंबर को दिया था और चार दिनों बाद 26 नवबंर 2008 को आईएसआई की ओर से प्रशिक्षित और बड़े पैमाने पर हथियारों से लैस लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकी ने मुंबई पर हमले कर दिए। 
-Legend News

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