चीन से Z-9EC हेलीकॉप्टर खरीदने के बाद पाकिस्तान अब ठगा हुआ महसूस कर रहा है। इन हेलीकॉप्टरों का मेंटीनेस करने में पाकिस्तान को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। पाकिस्तान ने भारतीय पनडुब्बियों का पता लगाने के लिए 2006 में चीन से एंटी सबमरीन वॉरफेयर में माहिर Z-9EC हेलीकॉप्टरों की खरीद की थी। Z-9EC हेलीकॉप्टर पल्स कम्प्रेशन रडार, लो-फ़्रीक्वेंसी सोनार, रडार वार्निंग रिसीवर और डॉप्लर नेविगेशन सिस्टम से लैस है। ऐसे में पाकिस्तानी एंटी सबमरीन वॉरफेयर वाले इन हेलीकॉप्टरों की उड़ान न भरने से भारत के लिए अरब सागर में ज्यादा उपस्थिति बनाए रखना काफी आसान हो गया है। अगर भारत चाहे को पाकिस्तान के काफी अंदर जाकर खुफिया जानकारी जुटा सकता है। हालांकि, चीन में बना यह हेलीकॉप्टर भारतीय पनडुब्बियों को नुकसान पहुंचाने में उतना सक्षम भी नहीं है। वहीं भारत ने अमेरिका से एमएच-60 रोमियो हेलीकॉप्टरों की खरीद की है, जो समुद्र के अंदर दुश्मनों का शिकार करने में माहिर हैं। 
मेंटीनेस न होने से जमीन पर पड़े सड़ रहे चीनी हेलीकॉप्टर
इतालवी मीडिया डिफेसा ऑनलाइन की रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान को मुख्य रूप से समस्या चीनी हेलीकॉप्टरों के रखरखाव से जुड़ी हुई है। चीनी सप्लायर के कारण पाकिस्तान अपने डैमेज हेलीकॉप्टरों की मरम्मत तक नहीं कर पा रहा है। इससे पाकिस्तानी नौसेना की एंटी सबमरीन वॉरफेयर की ताकत काफी कम हो गई है। पाकिस्तान ने ये हेलीकॉप्टर हार्बिन एयरक्राफ्ट इंडस्ट्री से खरीदा था। अब यह चीनी कंपनी समय पर हेलीकॉप्टरों के स्पेयर पार्ट्स की आपूर्ति नहीं कर पा रही है इसलिए पाकिस्तानी नौसेना और वायु सेना में शामिल Z-9EC हेलीकॉप्टरों में से अधिकतर उड़ान भरने में सक्षम नहीं हैं। 
पहले भी चीनी हथियारों को खरीद अंजाम भुगत चुका है पाकिस्तान
यह पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान को घटिया चीनी वेपन सिस्टम खरीदने का अंजाम भुगतना पड़ा है। दरअसल, पाकिस्तान अपनी सैन्य जरूरतों के लिए कम लागत वाले चीनी हथियारों पर निर्भर है। ऐसे में चीन से हथियार खरीदना पाकिस्तान की मजबूरी बना हुआ है। चीन के तोप और मिसाइल भी पाकिस्तान के लिए सिरदर्द बना हुआ है। चीनी कंपनियां मेंटीनेंस के लिए हथियारों के स्पेयर पार्ट्स को भी सप्लाई करने में काफी देर करती हैं। इस कारण पाकिस्तान को अपने हथियारों और दूसरे उपकरणों को रेडी यू यूज बनाने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। 
हेलीकॉप्टर का टेल रोटर ब्लेड में सबसे बड़ी समस्या
2009 में तत्कालीन चीफ ऑफ स्टाफ एडमिरल नोमन बशीर ने दावा किया कि चीन का यह हेलीकॉप्टर तकनीक के मामले में पश्चिमी देशों के बराबर है। लेकिन, कुछ समय बाद ही पाकिस्तानी नौसेना को इन हेलीकॉप्टरों को लेकर गंभीर समस्या का सामना करना पड़ा। सबसे गंभीर समस्या टेल रोटर ब्लेड की विफलता थी। यह एक ऐसा दोष है, जिसका सीधा प्रभाव हेलीकॉप्टर के उड़ान की क्षमता पर पड़ता है। टेल रोटर ब्लेड के बिना हेलीकॉप्टर अचानक अनियंत्रित होकर स्विंग करने लगता है। इसे अगर समय पर सही न किया गया तो हेलीकॉप्टर के दुर्घटनाग्रस्त होने की आशंका काफी ज्यादा बढ़ जाती है।
मेन रोटर और ब्रेक सिस्टम में भी दिक्कत
इसकी दूसरी मुख्य समस्या मेन रोटल ब्लेड में गंभीर दोषों से संबंधित है। इन ब्लेड की सर्विस लाइफ 3000 घंटे की है लेकिन समुद्री वातावरण में उड़ान भरने के कारण ये जल्द ही खराब हो जाते हैं। इस कारण समय से पहले ही इन्हें बदलना जरूरी हो जाता है। इसकी तीसरी मुख्य समस्या ब्रेक डिस्ट्रिब्यूशन वॉल्ब से संबंधित है। इस कारण 2018 से 2019 के दौरान लैंडिंग के अलग-अलग स्टेज में हेलीकॉप्टर के कई टायर फट गए। इस कारण पाकिस्तान ने मेहरान नौसैनिक अड्डे पर मेंटीनेंस के लिए स्पेशल फैसिलिटी का निर्माण किया है, लेकिन स्पेयर पार्ट्स की कमी के कारण अधिकतर हेलीकॉप्टर ग्राउंडेड हैं।
-Compiled by Legend News

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