आप मानें या ना मानें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि जो सच है वो सच है। और सच ये है कि आज सुबह एक बहुत बड़े 'अमेरिकी थिंकर' से मेरी बात हो रही थी। आप चाहें तो इसे मजाक समझ सकते हैं, लेकिन मेरी बात हुई। 
इस बातचीत के दौरान ऑपरेशन सिंदूर और सीजफायर का मुद्दा उठ गया तो बहुत से ऐसे प्रश्न जो भारत का विपक्ष रोज पूछ रहा है, मेरे ज़ेहन में भी उठने लगे। मसलन क्या अंकल सैम ने भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर कराया? 
मेरे प्रश्न का जवाब देने की बजाय 'अमेरिकी थिंकर' जोर-जोर से हंसने लगे। कहने लगे- देखो दोस्त, पप्‍पू होने या पप्‍पुओं के प्रोडक्शन करने पर अभी तक किसी देश को पेटेंट हासिल नहीं है। जैसे पप्‍पू आपके देश में हो सकता है, वैसे ही हमारे देश में भी हो सकता है। हो क्या सकता है, इनफैक्ट है। फर्क इतना है कि आपके देश का पप्‍पू विपक्ष में बैठा है और हमारे देश का पप्‍पू फिलहाल सत्ता पर क़ाबिज़ है। फिर भी आप जानना चाहते हो कि भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर कैसे हुआ तो मैं विस्तृत विवरण पेश कर देता हूं क्‍योंकि 'जीसस' की कृपा से मैं उस पूरे घटनाक्रम का चश्मदीद गवाह हूं। 
दरअसल, हुआ यूं कि रिवर्स गियर राष्‍ट्रपति के नाम से मशहूर हो चुके हमारे राष्‍ट्रपति अपने 'इश्क' यानी 'मस्क' की बेवफाई से काफी व्‍यथित थे, लिहाजा उन्‍होंने मुझे कॉल करके व्हाइट हाउस बुलवा भेजा। हालांकि मस्क उससे पहले ही राष्‍ट्रपति पर 'हरजाई' होने का आरोप मढ़ चुके थे। 
बहरहाल, जब मैं व्हाइट हाउस के अंदर अपने राष्ट्रपति की व्यथा सुन रहा था तभी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री का फोन आया। पहले तो हमारे राष्‍ट्रपति ने उससे बात करने से ही मना कर दिया लेकिन फिर ज्यादा रिक्वेस्‍ट करने पर मान गए। 
मैं अपने राष्‍ट्रपति से बहुत 'सटकर' बैठा था इसलिए पाकिस्तानी पीएम की पूरी बात सुन पा रहा था। पाकिस्‍तानी पीएम हमारे राष्‍ट्रपति के सामने गिड़गिड़ाकर कह रहा था कि भारत बहुत मार रहा है। हमारे पटाखे कोई काम नहीं कर पा रहे। कैसे भी मोदी की मार से हमें बचा लीजिए, हम जब तक एक देश के रूप में अपना अस्तित्‍व बचा पाएंगे, तब तक आपके तावेदार रहेंगे। 
पाकिस्तानी पीएम के इतने गिड़िगिड़ाने पर हमारे राष्‍ट्रपति ने उससे कहा- देखो मिस्टर शरीफ, तुम अभी मोदी को नहीं जानते। वो मेरी कतई नहीं सुनने वाला, इसलिए भूल जाओ कि मैं तुम्‍हारी कोई मदद कर सकूंगा। लेकिन मैं तुम्हें एक एडवाइज दे सकता हूं। उसे मान लो तो शायद 'आतंकिस्तान' बच जाए। 
हमारे राष्‍ट्रपति के इतना कहते ही पाकिस्तानी पीएम बोला- "इरशाद हुजूर" इरशाद। फरमाइए कि मुझे क्या करना होगा। 
इस पर हमारे राष्‍ट्रपति ने कहा कि तुम अपने DGMO से कहो कि वो भारत के DGMO से समय लेकर बात करे और मानवता की दुहाई देकर ऑपरेशन सिंदूर रोक देने की गुज़ारिश करे। और हां, जैसे ही भारत के DGMO से बात हो... वैसे ही मुझे सूचित करो क्योंकि यदि बात नहीं बनती है तो मैं तुम्हें कोई दूसरा फार्मूला बताऊंगा। 
अमेरिकी थिंकर के अनुसार इतना सुनते ही शरीफ ने जी हुजूर कहकर फोन काट दिया और मैं अपने राष्‍ट्रपति से मस्‍क के साथ टूटे उनके इश्क की समस्या पर डिस्कस करने लगा। 
थोड़ी देर ही हुई थी कि शरीफ का कॉल फिर आ गया। इस बार उसकी आवाज में जोश था। कहने लगा- सर, आपकी सलाह काम कर गई। दो बार प्रयास करने पर भारत ने हमारी सुन ली। वो शर्तों के साथ ही सही, लेकिन हमारे ऊपर रहम करने को तैयार हो गया है। कह रहा है कि तुम औकात में रहोगे, तो हम बख्‍श देंगे। मैनी- मैनी थैंक्‍स सर। 
अमेरिकी थिंकर ने मुझे बताया कि इतना सुनने के साथ ही हमारे राष्‍ट्रपति ने शरीफ का फोन काटा और ऐसे उछलने लगे जैसे कोई खजाना हाथ लग गया हो। थिंकर ने कहा कि पहले तो मुझे उनका इस तरह का व्यवहार समझ में नहीं आया लेकिन जब उन्होंने अपने सोशल मीडिया हैंडलर को फोन करके डिक्टेट करना शुरू किया तो पूरा माजरा समझ में आ गया। 
मेरे राष्‍ट्रपति ने मुझे बताया कि मोदी अपनी बात के बहुत पक्के हैं। उन्होंने एक बार कमिटमेंट कर लिया तो कर लिया। उन्‍होंने इस भिखमंगे देश को बख्‍श दिया है। यही समय है महफिल लूट लेने का। 
मेरे राष्‍ट्रपति ने अपने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के जरिए भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर कराने का श्रेय खुद ले लिया। ऐसे में जब तक भारत अपने DGMO से इसकी घोषणा कराता, तब तक हमारा पप्पू अपने मुंह मियां मिठ्ठू बन चुका था जबकि सीजफायर कराने में उसकी कोई भूमिका नहीं थी। वो तो इस मामले में पाकिस्तान के सामने अपने हाथ खड़े कर चुका था। 
अमेरिकी थिंकर के अनुसार, चूंकि इस पूरे घटनाक्रम से पहले आपका पप्पू ऑल पार्टी मीटिंग में देश का साथ देने की बात कह आया था इसलिए उसे ऐसा कोई मौका चाहिए था जिससे वो अपनी फितरत पर लौट सके। हमारे पप्पू के एक ट्वीट ने उसे ये मौका दे दिया, और वो उसे ले उड़ा। बात कुल जमा इतनी सी है। 
लेकिन पप्पू जो होते हैं, वो अपनी एक अलग दुनिया में रहते हैं। वो पप्‍पू फिर चाहे कहीं का हो। अमेरिका का हो या भारत का। हमारा पप्पू तब से ये मनवाने में लगा है कि सीजफायर मैंने करवाया, और आपका पप्‍पू उसे अंतिम सत्य मानकर देश को ये मनवाने में जुटा है कि अमेरिका का पप्पू जो कह रहा है, सच कह रहा है। वो सच के अलावा कुछ नहीं कह रहा। परंतु समस्या यह है कि हमारे पप्पू को हमारे देश में कोई सीरियसली नहीं लेता, और आपके पप्‍पू को तो देश क्या उसकी अपनी पार्टी में कोई गंभीरता से नहीं लेता। रही बात मोदी जी की चुप्‍पी की, तो वो दोनों पप्‍पुओं को अच्‍छी तरह जानते हैं। वो जानते हैं कि पप्‍पुओं की फितरत कभी नहीं बदलती। फिर चाहे वह यहां का हो, या उनके अपने मुल्क का। 
मोदी जी ये भी जानते हैं कि जनता पप्‍पुओं की हसरत और फितरत दोनों जानती है इसलिए वह न उनकी फितरत चलने देती है और न हसरत पूरी करती है। 
इतना कहकर अमेरिकी थिंकर ने मुझसे कहा, आप भी पप्‍पुओं की बातें सीरियसली लेना छोड़ दीजिए और अगली बार किसी ऐसे मुद्दे पर बात कीजिए जो आपके स्तर की हो, अन्यथा मैं आपको उसी तरह सीरियसली लेना छोड़ दूंगा जिस तरह पप्‍पुओं को नहीं लेता। 
उन्‍होंने कहा, अगली बार बात होगी तो बताऊंगा कि हमारे पप्‍पू ने कैसे रिवर्स गियर राष्‍ट्रपति का खिताब हासिल किया है और कैसे कितने कम समय में पप्‍पू की पदवी हासिल की है। आपके पप्‍पू ने तो पप्पू का पद हासिल करने के लिए जीवन के पांच दशक खपा दिए लेकिन हमारे वाले ने दूसरी बार राष्‍ट्रपति पद पाकर इसे हासिल कर लिया। पिछली बार कुछ कसर रह गई थी, जो इस बार पूरी हो गई। 
-सुरेन्‍द्र चतुर्वेदी 

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