मथुरा। मोक्षदा एकादशी गीता-जयन्ती के अवसर पर आज दिनांक 11 दिसम्बर 2024 बुधवार को प्रातः 9 बजे से दोपहर  12 बजे के मध्य श्रीकृष्ण-जन्मस्थान परिसर में स्थित भागवत-भवन में मदिर के पॉंच पूजाचार्यों द्वारा श्रीमद्भगवत-गीता जी का सस्वर पाठ किया गया।

गीता जयंती श्रीमद्भगवद्गीता के आगमन का शुभ दिन है। यह वह दिन है जिस दिन 5000 साल पहले भगवान कृष्ण ने अर्जुन को वैदिक ज्ञान का सार प्रदान किया था और उन्हें जीवन के अंतिम लक्ष्य के बारे में बताया था। 

भगवान श्रीकृष्ण द्वारा कुरूक्षेत्र की रणभूमि में कर्तव्य से विमुख होता देख धनुर्धारी अर्जुन को अपने श्रीमुख से निःसृत वाणी ''श्रीमद्भगवत गीता'' के रूप में मानव मात्र का आज भी मार्गदर्शन कर रही है।

गीता-महात्म्य में कहा गया है, यदि कोई व्यक्ति भगवद-गीता के निर्देशों का ठीक से पालन करता है, तो वह इस जीवन में सभी दुखों और चिंताओं से मुक्त हो सकता है, और उसका अगला जीवन आध्यात्मिक होगा। भगवद-गीता का शाब्दिक अर्थ है सर्वोच्च भगवान का गीत। यह दुनिया में सबसे व्यापक रूप से जाना जाने वाला वैदिक साहित्य है।

भगवद गीता भगवान श्री कृष्ण द्वारा दिए गए वैदिक ज्ञान का सार है। उनके संदेश में जीवन की सभी गलतफहमियों को दूर करने और खुशी, संतुष्टि, तृप्ति और आत्म-खोज के जीवन का रहस्य छिपा है। 

गीता जयंती के इस शुभ अवसर पर सभी भगवतभक्तों के लिए प्रसादी-भण्डारे का आयोजन श्रीकृष्ण जन्मभूम‍ि अन्नक्षेत्र परिसर में किया गया था।
- Legend News

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