रिपोर्ट : LegendNews
कार्तिक पूर्णिमा-देव दीपावली पर काशी व मथुरा में गंगा-यमुना के घाट दीपों से होंगे जगमग
लखनऊ। कार्तिक पूर्णिमा अर्थात् देव दीपावली पर आज मथुरा में यमुना के घाटों पर दीपदान कर आज देवताओं को विदा किया जाएगा. मान्यता है कि चार्तुमास में ब्रज में देवताओं का वास रहता है.
घाटों को सवा लाख दीपों से जगमग किया जाएगा। प्रयाग घाट स्थित सरस्वती भवन में हुई बैठक में तैयारियों को अंतिम रूप दिया गया.
समिति के पदाधिकारी गोपेश्वर नाथ चतुर्वेदी ने बताया कि आयोजन की तैयारी कर ली गई है। घाटों को सजाया जाएगा. 25 घाटों पर दीप जलाए जाएंगे. इनमें से छह घाट यमुना पार के होंगे.
मुख्य आयोजन राजा घाट पर होगा. हार्न बजाकर दीप जलाने का संदेश दिया जाएगा. शाम पांच बजे से आयोजन किया जाएगा. दीपक जलाने की व्यवस्था समिति के सदस्यों व स्कूल के बच्चों पर होगी. राजा घाट पर भजन संध्या होगी. दीपदान करने से देवता व पूर्वज खुश होते हैं.
स्नान के लिए आस्था का सैलाब उमड़ा
इसके अलावा अयोध्या, प्रयागराज, बनारस समेत अन्य शहरों-जिलों में श्रद्धालुओं ने पवित्र नदियों में भोर से ही आस्था की डुबकी लगा रहे हैं. स्नान के लिए आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा है. हर जगह श्रद्धालुओं की सुरक्षा में जमीन से लेकर आसमान तक निगरानी की जा रही है.
वैदिक मान्यताओं के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा का दिन भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार से जुड़ा हुआ है. मान्यता है कि इसी दिन भगवान विष्णु ने मत्स्य रूप में प्रकट होकर मनु को प्रलय के समय वेदों की रक्षा करने और सृष्टि को पुनः स्थापित करने का मार्ग दिखाया था.
वाराणसी; दशाश्वमेध घाट पर देखते ही बनता है देव दीपावली और गंगा आरती का आयोजन
धरती पर स्वर्ग लोक यदि उतरते देखना है तो आपको देव दीपावली के मौके पर काशी आना होगा. लाखों दीयों की रोशनी से जगमगाते गंगा घाट धरती पर स्वर्ग का एहसास कराते हैं. इसके अलावा चार गंगा आरतियां अलौकिक संसार की अनुभूति कराती हैं. 1991 से चली आ रही दशाश्वमेध घाट की प्रसिद्ध गंगा महाआरती के साथ ही शीतला घाट, अस्सी घाट और नमो घाट पर गंगा आरती की भव्यता देखने को मिलेगी. दशाश्वमेध घाट की गंगा आरती सबसे पुरानी और प्रसिद्ध है.
शीतला घाट पर आरती 1997 में शुरू हुई जो गंगा गंगोत्री सेवा निधि के नाम से होती है. शीतला घाट पर यह आरती देव दीपावली के मौके पर भव्यता से हो संपन्न होगी. यहां दशाश्वमेध की आरती की तर्ज पर शिव तांडव भजन और गंगा आरती लगभग 1 घंटे से ज्यादा वक्त तक चलती है. आरती का संचालन किशोरी रमन दुबे उर्फ बाबू महाराज करते हैं. यहां 21 ब्राह्मण के साथ महा आरती संपन्न होती है.
कुशीनगर की बासी नदी पर लगा श्रद्धालुओं का तांता
कुशीनगर में कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर श्रद्धालुओं का तांता कुशीनगर की बासी नदी पर लगा रहा. बासी नदी में श्रद्धालुओं ने दीपदान किया. उसके बाद पहुंचे कुशीनगर सांसद, सदर विधायक समेत कई भाजपा नेताओं ने गंगा आरती में सहभागिता की.
मान्यता है कि बासी नदी में स्नान करने से 'सौ काशी, एक बासी' के बराबर पुण्य मिलता है. यहां हर वर्ष उत्तर प्रदेश, बिहार और नेपाल के लोग डुबकी लगाने पहुंचते हैं. इस साल श्रद्धालुओं की संख्या में इजाफा भी हुआ है. पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान राम की बारात अयोध्या से जनकपुर (नेपाल) जाते समय बिहार सीमा पर बासी तट पर रुकी थी. सुबह बारात ने इसी नदी में स्नान के बाद अपनी यात्रा आगे बढ़ाई थी.
कानपुर में आस्था की डुबकी के लिए गंगा घाटों पर उमड़ रहे श्रद्धालु
कार्तिक पूर्णिमा का उल्लास और उमंग कानपुर के गंगा घाटों पर बुधवार सुबह से ही है. श्रद्धालुओं के उत्साह को देखते हुए नगर निगम, जिला प्रशासन, पुलिस अफसरों ने मंगलवार को दिनभर कड़ी मशक्कत कर शहर के बिठूर, अटल घाट, परमट मंदिर घाट, सरसैया घाट समेत कई अन्य घाटों को चमकाया. शहर के गंगा बैराज स्थित अटल घाट को रंग-बिरंगी लाइटों से सजाया गया है. नौकायन की व्यवस्था भी की गई है.
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