सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण मामले में सख्‍त टिप्‍पणी की है। कोर्ट ने कहा है कि कुछ लोग पहले तो अदालत में बड़ी रकम जमा करने की बात करते हैं, ताकि उन्‍हें जमानत मिल जाए। फिर बाद में अपनी बात से पलट जाते हैं। वे कहते हैं कि जमानत की शर्त बहुत सख्‍त है या उनके वकील को ऐसा कहने का अधिकार ही नहीं था। कोर्ट ने इस तरह के रवैये को गलत बताया है।
न्‍यायिक प्रक्रिया की पवित्रता को बनाए रखना जरूरी
जस्टिस के. वी. विश्‍वनाथन और जस्टिस एन. कोटिश्‍वर सिंह की बेंच ने कहा कि वे न्‍यायिक प्रक्रिया की पवित्रता को बनाए रखना चाहते हैं। वे किसी को भी अदालत के साथ 'लुका-छिपी' का खेल खेलने की इजाजत नहीं देंगे। कोर्ट ने यह भी कहा कि वे ऐसे लोगों को अपनी चालाकी से फायदा उठाने नहीं देंगे, जिन्‍होंने जमानत पाने के लिए इस तरह का तरीका अपनाया। कोर्ट ने यह बात CGST एक्‍ट के तहत एक आरोपी की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए कही। आरोपी पर 13.7 करोड़ रुपये की टैक्स चोरी का आरोप है।
जमानत राशि ज्यादा नहीं होनी चाहिए, लेकिन शर्तें सख्त रहें
लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आजकल यह चलन बन गया है कि लोग इस तरह की बातें लेकर सुप्रीम कोर्ट आ जाते हैं। इससे हाई कोर्ट में मामलों की ठीक से सुनवाई नहीं हो पाती। कोर्ट ने कहा कि यह सही है कि बहुत ज्‍यादा जमानत राशि नहीं होनी चाहिए और जमानत देते समय सख्‍त शर्तें नहीं लगानी चाहिए लेकिन यह भी देखना जरूरी है कि लोग जमानत पाने के लिए पहले तो पैसे जमा करने की बात करते हैं और बाद में उससे मुकर जाते हैं। कोर्ट ने कहा कि वे इस तरह के रवैये को बर्दाश्‍त नहीं करेंगे। 
कोर्ट ने कहा, हम इस तरह के रवैये की कड़ी निंदा करते हैं... हमें न्‍यायिक प्रक्रिया की पवित्रता का ध्‍यान रखना होगा। हम पार्टियों को अदालत के साथ लुका-छिपी का खेल खेलने की इजाजत नहीं दे सकते... हम पार्टियों को रिहाई के आदेश हासिल करने के लिए उनके द्वारा अपनाए गए तरीके का फायदा उठाने की इजाजत नहीं दे सकते।
कोर्ट ने बताया कि लोग कैसे जमानत पाने के लिए तरीके अपनाते हैं। जब लोग अग्रिम जमानत या नियमित जमानत के लिए अर्जी देते हैं, तो उनके वकील खुद ही कहते हैं कि वे कुछ पैसे जमा करेंगे ताकि उनकी नीयत साफ दिखे और उन्‍हें आजादी मिल जाए। इसके बाद अदालतें मामले की असलियत पर ध्‍यान नहीं देतीं और वकील के पैसे जमा करने की बात को रिकॉर्ड करके जमानत दे देती हैं। फिर बाद में वे लोग ऊंची अदालत में शिकायत करते हैं कि जमानत की शर्त बहुत सख्‍त है व गैरकानूनी है। 
-Legend News

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