दिल्ली की जामा मस्जिद में रविवार को ईद-उल-अज़हा यानी बक़रीद के मौके पर बड़ी संख्या में मुसलमानों ने नमाज अदा की.
इसके अलावा दिल्ली में ही सीलमपुर की उमर मस्जिद और फतेहपुर मस्जिद में भी नमाज पढ़ी गई.
जम्मू में ईदगाह और श्रीनगर की पालपोरा मस्जिद में भी नमाजी त्योहार के मौके पर इकट्ठा हुए. 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी देशवासियों को इसकी शुभकामना दी है.
ईद-उल-अज़हा या ईद-उज़-ज़ोहा, ये ईद इस्लामिक कैलेंडर के आख़िरी महीने ज़िलहिज्ज की दसवीं तारीख़ को मनाया जाता है. हालांकि, हर साल इस त्योहार की तारीख़ बदल जाती है. 
ये ईद हजरत मोहम्मद के पूर्वज हजरत इब्राहिम की क़ुर्बानी को याद करने के लिए मनाई जाती है.
मुसलमानों का विश्वास है कि अल्लाह ने इब्राहिम की भक्ति की परीक्षा लेने के लिए अपनी सबसे प्यारी चीज़ की क़ुर्बानी मांगी. इब्राहिम ने अपने जवान बेटे इस्माइल को अल्लाह की राह में क़ुर्बान करने का फ़ैसला कर लिया.
लेकिन वो जैसे ही अपने बेटे को क़ुर्बान करने वाले थे अल्लाह ने उनकी जगह एक दुंबे को रख दिया. अल्लाह केवल उनकी परीक्षा ले रहे थे.
दुनिया भर में मुसलमान इसी परंपरा को याद करते हुए ईद-उज़-ज़ोहा या ईद-उल-अज़हा मनाते हैं. इस दिन किसी जानवर (जानवर कैसा होगा इसकी भी ख़ास शर्ते हैं) की क़ुर्बानी दी जाती है. इसीलिए भारत में इसे बक़रीद भी कहा जाता है.
इस ईद का संबंध हज से भी है जब दुनिया के लाखों मुसलमान हर साल पवित्र शहर मक्का जाते हैं. बकरे की क़ुर्बानी हज का एक अहम हिस्सा है.
-एजेंसियां

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