नई द‍िल्ली। महाराष्ट्र में विधानसभा चुनावों की घोषणा से ठीक पहले राज्य की राजनीति में बड़ा घटनाक्रम सामने आया है। महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने राज्य मंत्रिमंडल की सिफारिश पर कार्रवाई करते हुए सोमवार देर रात राज्यपाल कोटे के तहत विधान परिषद सदस्यों (एमएलसी) के रिक्त पदों को भरे जाने के लिए सात नामों को मंजूरी दे दी। 

महाराष्ट्र विधान परिषद की उपाध्यक्ष नीलम गोरे ने आज नवनियुक्त विधान परिषद सदस्यों को सदन की सदस्यता की शपथ भी दिला दी। विपक्षी एमवीए गठबंधन ने इस कदम को असंवैधानिक बताते हुए इसे अदालत में चुनौती देने की बात कही है।

बता दें कि सात एमएलसी सीटों में से, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को तीन और शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) को दो-दो सीटें मिली हैं। भाजपा ने पार्टी की महाराष्ट्र इकाई की महिला मोर्चा अध्यक्ष चित्रा वाघ, राज्य महासचिव विक्रांत पाटिल और बंजारा समुदाय के आध्यात्मिक नेता धर्मगुरु बाबूसिंह महाराज राठौड़ को विधान परिषद भेजा है तो वहीं राकांपा ने पूर्व विधायक पंकज भुजबल और पश्चिमी महाराष्ट्र से अल्पसंख्यक चेहरे इदरीस नाइकवाड़ी को नामांकित किया है। शिवसेना ने पूर्व एमएलसी मनीष कायंदे और पूर्व लोकसभा सांसद हेमंत पाटिल का नाम दिया है। राज्यपाल कोटे की कुल 12 सीटों में से अभी सात सीटें ही र‍िक्त हैं। 

महा विकास अघाड़ी (एमवीए) ने अपने कार्यकाल के ढाई साल में दो बार तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को अपने 12 उम्मीदवारों की सूची दी थी जिन्हें विधान परिषद में नामांकित किया जाना था लेकिन कोश्यारी ने न तो उस सूची को खारिज किया और न ही स्वीकार किया था। इसके बाद एमवीए ने इस संबंध में बॉम्बे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, लेकिन अदालत ने राज्यपाल को कोई भी निर्देश देने से इंकार कर दिया था।

सत्ता संभालने के बाद, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने 2022 में कोश्यारी को पत्र लिखकर राज्यपाल कोटे के तहत एमएलसी के रिक्त पदों पर मनोनीत करने के लिए अपने पूर्ववर्ती उद्धव ठाकरे द्वारा प्रस्तावित 12 नामों को वापस लेने का अनुरोध किया था जिसे राज्यपाल ने स्वीकार कर लिया था।

हम आपको याद दिला दें कि तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता (अब सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश) की अध्यक्षता वाली बॉम्बे हाई कोर्ट की पीठ ने 13 अगस्त, 2021 के आदेश में कहा कि यह जरूरी है कि कोश्यारी 12 नामांकनों पर जल्द से जल्द निर्णय लें क्योंकि आठ महीने का समय बीत चुका है। उच्च न्यायालय की पीठ ने कहा था कि उचित समय के भीतर कैबिनेट द्वारा की गई सिफारिशों को स्वीकार करना या वापस करना राज्यपाल का दायित्व है और विधान परिषद में सीटें "अनिश्चित काल तक खाली नहीं रखी जा सकतीं"।
- Legend News  

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