केंद्रीय जांच एजेंसी ईडी ने मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) की साइटों के आवंटन में बड़े पैमाने पर हुए घोटाले से जुड़े मामले में 100 करोड़ रुपये के बाजार मूल्य वाली 92 संपत्तियों को अस्थायी रूप से कुर्क किया है। अधिकारियों ने मंगलवार को इसकी जानकारी दी। 
अधिकारियों ने बताया कि केंद्रीय एजेंसी ने अब तक 400 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की है। एजेंसी ने आरोप लगाया है कि कुर्क की गई संपत्तियां हाउसिंग कोऑपरेटिव सोसायटियों और ऐसे लोगों के नाम पर पंजीकृत हैं, जो एमयूडीए अधिकारियों सहित कुछ प्रभावशाली लोगों के लिए मुखौटा यानी डमी के रूप में काम कर रहे हैं। 
ईडी ने कहा, "ईडी की ओर से कुर्क की गई 92 एमयूडीए साइटें 160 एमयूडीए साइटों की पिछली कुर्की से संबंधित हैं, इनका बाजार मूल्य लगभग 300 करोड़ रुपये है।" ईडी ने बताया कि अब तक अस्थायी रूप से जब्त अपराध की आय का संचयी बाजार मूल्य लगभग 400 करोड़ रुपये है।
एजेंसी की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है, "ईडी ने लोकायुक्त पुलिस मैसूर की ओर से भारतीय दंड संहिता, 1860 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की विभिन्न धाराओं के तहत सिद्धारमैया और अन्य, जो कर्नाटक के वर्तमान मुख्यमंत्री हैं, के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी के आधार पर जांच शुरू की है।" इसमें कहा गया है कि कुर्की सोमवार को की गई।
ईडी की जांच से पता चला है कि विभिन्न कानूनों और सरकारी आदेशों/दिशानिर्देशों का उल्लंघन करके तथा अन्य धोखाधड़ीपूर्ण तरीकों से एमयूडीए साइटों के आवंटन में "बड़े पैमाने पर घोटाला" किया गया।
ईडी ने कहा कि जीटी दिनेश कुमार सहित पूर्व एमयूडीए आयुक्तों की भूमिका अयोग्य संस्थाओं और व्यक्तियों को मुआवजा स्थलों के अवैध आवंटन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली के रूप में सामने आई है।
केंद्रीय जांच एजेंसी ने नकदी, बैंक हस्तांतरण, चल और अचल संपत्तियों के रूप में अवैध आवंटन करने के लिए रिश्वत के लेन-देन को दर्शाने वाले साक्ष्य एकत्र किए हैं।
-Legend News

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