श्रीनगर। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) ने जम्मू-कश्मीर की सत्तारूढ़ पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद आगा रूहुल्लाह मेहदी और उनके करीबी रिश्तेदारों के खिलाफ जमीन के लिए फर्जी भुगतान और राजस्व रिकॉर्ड से छेड़छाड़ करने के 16 साल पुराने मामले में अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया है.

एसीबी ने एक बयान में कहा कि रूहुल्लाह और उनके पांच करीबी रिश्तेदार, 6 रिटायर सरकारी कर्मचारी, 9 स्थानीय लोग जिनमें एक मृत भी शामिल है, ने बडगाम जिले के राख-ए-अर्थ में जमीन के रिकॉर्ड में फर्जीवाड़ा करके 38.20 लाख रुपये का अतिरिक्त मुआवजा लेने की साजिश रची, जिससे राज्य के खजाने को नुकसान हुआ.

क्या है राख-ए-अर्थ ?
राख-ए-अर्थ श्रीनगर के बाहरी इलाके में बडगाम जिले में एक दलदली भूमि है, जिसे डल झील के नाविकों के पुनर्वास के लिए एक आवासीय कॉलोनी में बनाया गया है, जिन्हें सरकार ने झील से हटा दिया था ताकि इसे कीटाणुरहित किया जा सके.

भूमि रिकॉर्ड में छेड़छाड़
एसीबी ने धोखाधड़ी के भुगतान और भूमि रिकॉर्ड में छेड़छाड़ के बारे में शिकायत मिलने के बाद 2009 में इन 22 आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी, जिसमें LAWDA के दो कलेक्टर, चार अन्य सेवानिवृत्त लोक सेवक और 16 लाभार्थी शामिल थे. बयान में कहा गया है कि JK PC एक्ट के तहत दर्ज एफआईआर के एक मामले की जांच के बाद चार्जशीट दायर की गई है.

ACB का बयान
एसीबी ने कहा, "यह मामला एसीबी द्वारा किए गए ज्वाइंट सरप्राइज चेक (JSC) के परिणाम के आधार पर दर्ज किया गया है. इसमें आरोप लगाया गया है कि रुख्स और फार्म विभाग कश्मीर के अधिकारियों/कर्मचारियों ने राजस्व रिकॉर्ड में छेड़छाड़ करके अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग किया, जिसके कारण अतिरिक्त राज्य भूमि के एवज में 38.20 लाख रुपये की धोखाधड़ी से भुगतान किया गया और इसे रख-ए-एर्थ बडगाम में कामास (किराएदारों) को आवंटित दिखाया गया."

एसीबी ने आगे कहा, "धोखाधड़ी से दाखिल खारिज के जरिए कब्जे वाली जमीन को खसरा नंबर 1692 के तहत 6 कनाल के बजाय 60 कनाल, खसरा नंबर 1666/750 के तहत 4 कनाल के बजाय 40 कनाल और खसरा नंबर 1736 के तहत 2 कनाल के बजाय 07 कनाल-10 मरला दिखाया गया."

अभियोजन शुरू करने के लिए सरकार की मंजूरी
22 आरोपियों के खिलाफ अभियोजन शुरू करने के लिए सरकार की मंजूरी के बाद, मामले को 12 अप्रैल 2025 को विशेष भ्रष्टाचार निरोधक जज श्रीनगर की माननीय अदालत के समक्ष पेश किया गया. मामले पर जब रूहुल्लाह मेहदी की टिप्पणी सामने नहीं आई है. हालांकि, उनके एक करीबी सहयोगी ने मीडि‍या को बताया कि आगा परिवार ने श्रीनगर के बाहरी इलाके बेमिना में रख-ए-अर्थ में धान के लिए 80 कनाल जमीन पर खेती की थी.

उन्होंने कहा कि जब सरकार ने डल झील के निवासियों के लिए रख-ए-अर्थ में पुनर्वास नीति की घोषणा की, तो आगा परिवार की जमीन की पहचान की गई और वे मुआवजे के बदले में इस जमीन को खाली करने के लिए सहमत हुए. उन्होंने कहा, "कुछ जमीन काश्तकार पुनर्वास से खुश नहीं थे, क्योंकि उन्हें जमीन के नुकसान का डर था, इसलिए उन्होंने एसीबी से शिकायत की और जमीन की हेराफेरी और मुआवजे में बढ़ोतरी आदि के कुछ आरोप लगाए."
- Legend News

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