सुप्रसिद्ध संगीतकार, पार्श्व एवं भजन सम्राट अनूप जलोटा भारतीय संगीत जगत का एक प्रतिष्ठित नाम हैं। भजन गायकी में उनकी अद्वितीय शैली ने उन्हें अपार प्रसिद्धि दिलाई है। उनके सुरीले स्वरों में गाए गए भजनों ने न केवल भारत बल्कि विदेशों में भी लोगों के हृदय में गहरी छाप छोड़ी है। उनके पिता, पुरूषोत्तम दास जलोटा, स्वयं एक प्रसिद्ध भजन गायक थे, जिनसे अनूप जलोटा ने संगीत की प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की।अनूप जलोटा की गायकी सरल, भावपूर्ण और आत्मीयता से भरपूर होती है, जो सीधे श्रोताओं के मन को छूती है। ‘ऐसी लागी लगन’, ‘जग में सुंदर हैं दो नाम’ जैसे उनके भजन कालजयी बन चुके हैं। संगीत के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए उन्हें अनेक पुरस्कारों और सम्मानों से नवाजा गया है। उनके ज्ञान और साधना का प्रभाव हर प्रस्तुति में स्पष्ट झलकता है, जिससे वे संगीत प्रेमियों के बीच सदैव लोकप्रिय बने रहते हैं।

दिल्ली के मायापुरी में आयोजित एक कार्यक्रम में सुप्रसिद्ध संगीतकार, पार्श्व एवं भजन सम्राट अनूप जलोटा से विशेष साक्षात्कार वरिष्ठ पत्रकार एवं समीक्षक,लेखक अशोक कुमार निर्भय द्वारा लिया गया इस विशेष इंटरव्यू के कुछ महत्वपूर्ण अंश :- 
 

प्रश्न: अनूप जी, सबसे पहले आपका बहुत-बहुत स्वागत है। आप भजन सम्राट के नाम से विख्यात हैं। संगीत की इस यात्रा की शुरुआत कैसे हुई ?

उत्तर: धन्यवाद! मेरे संगीत सफर की शुरुआत बचपन में ही हो गई थी। मेरे पिता पुरूषोत्तम दास जलोटा स्वयं एक प्रसिद्ध भजन गायक थे, और मैंने उन्हीं से संगीत की प्राथमिक शिक्षा प्राप्त की। धीरे-धीरे मैंने इसे गहराई से समझना शुरू किया और मंच पर प्रस्तुतियां देने लगा।


प्रश्न: आपने पारंपरिक भजनों के साथ-साथ अन्य संगीत शैलियों में भी काम किया है। क्या यह चुनौतीपूर्ण था ?

उत्तर: हाँ, बिल्कुल! भजन गाना मेरी आत्मा का हिस्सा है, लेकिन संगीत की विभिन्न शैलियों को अपनाने से मेरे कौशल का विस्तार हुआ। मैंने फिल्मों में भी गाने गाए हैं और ग़ज़ल, सुगम संगीत और फ्यूज़न पर भी काम किया है। यह यात्रा बहुत रोचक रही।


प्रश्न: आपकी भजनों की गायकी का अंदाज़ काफी अलग और प्रभावशाली है। इसकी क्या खासियत है ?

उत्तर: मेरी शैली की खासियत सरलता और भावनात्मक गहराई है। मैं भजन को ऐसे गाने की कोशिश करता हूँ कि वह सीधे श्रोताओं के हृदय में उतर जाए। सही राग और भावनात्मक अभिव्यक्ति इसे प्रभावशाली बनाते हैं।


प्रश्न: क्या आपको लगता है कि भजन गायकी का भविष्य उज्ज्वल है ?

उत्तर: बिल्कुल ! भजन संगीत का भविष्य बहुत उज्ज्वल है क्योंकि यह आत्मा को शांति देता है। डिजिटल प्लेटफार्म और सोशल मीडिया की वजह से अब यह और अधिक लोगों तक पहुँच रहा है। नई पीढ़ी भी इसे अपनाने में रुचि दिखा रही है।


प्रश्न: संगीत जगत में इतने वर्षों के अनुभव के बाद, क्या कोई ऐसा क्षण है जिसे आप अपने करियर का सबसे यादगार पल मानते हैं ?

उत्तर: मेरे जीवन में कई यादगार क्षण हैं, लेकिन जब मुझे भजन सम्राट की उपाधि मिली, वह मेरे लिए बेहद खास था। इसके अलावा, जब मैंने बड़े-बड़े मंचों पर परफॉर्म किया और लाखों लोगों ने मुझे सराहा, तो वह भी मेरे लिए अविस्मरणीय क्षण थे।


प्रश्न: आपने कई प्रसिद्ध भजनों को अपनी आवाज़ दी है। कौन सा भजन आपको सबसे अधिक प्रिय है ?

उत्तर: यह बहुत कठिन सवाल है, क्योंकि हर भजन मेरी आत्मा के करीब है। फिर भी, ‘ऐसी लागी लगन, मीरा हो गई मगन’ और ‘जग में सुंदर हैं दो नाम’ मेरे पसंदीदा भजनों में से हैं।


प्रश्न: संगीत की दुनिया में आने वाले नए कलाकारों को आप क्या संदेश देना चाहेंगे ?

उत्तर: मैं उन्हें यही कहना चाहूँगा कि संगीत को सिर्फ व्यवसाय के रूप में न देखें, बल्कि इसे आत्मा से जोड़ें। मेहनत, समर्पण और अनुशासन सफलता की कुंजी हैं। सबसे महत्वपूर्ण यह है कि संगीत को पूरी श्रद्धा और प्रेम से अपनाएँ।


प्रश्न: आपका नया प्रोजेक्ट क्या है ? क्या श्रोताओं को कुछ नया सुनने को मिलेगा ?

उत्तर: जी हाँ, मैं हमेशा कुछ नया करने की कोशिश करता हूँ। फिलहाल मैं कुछ नए भजन और ग़ज़लों पर काम कर रहा हूँ, जिन्हें आधुनिक संगीत के साथ प्रस्तुत किया जाएगा ताकि युवा पीढ़ी भी इसे पसंद करे।


प्रश्न: आदरणीय अनूप जी, इस खूबसूरत बातचीत के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।

उत्तर: आपका भी धन्यवाद अशोक जी ! मेरे जितने भी संगीत प्रेमियों हैं उनके लिए लिए मेरा बहुत - बहुत आभार और ह्रदय की अनंत गहराइयों से शुभकामनाएँ।


- अशोक कुमार निर्भय,

  वरिष्ठ पत्रकार एवं समीक्षक,लेखक 

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