रिपोर्ट : LegendNews
भारत का पहला आयुर्वेदिक चिकित्सा उपकरण, जिसे मिली CDSCO से मंजूरी
पुणे के हिंजेवाड़ी की आत्रेय इनोवेशन्स कंपनी ने 'नाड़ी तरंगिणी' नाम का आयुर्वेदिक पल्स डायग्नोस्टिक उपकरण बनाया है। यह डिवाइस भारत का पहला आयुर्वेदिक चिकित्सा उपकरण है जिसे CDSCO (सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन) से मंजूरी मिली है। CDSCO देश में सौंदर्य प्रसाधन, दवाओं और चिकित्सा उपकरणों के लिए राष्ट्रीय नियामक है। यह डिवाइस पद्म भूषण पुरस्कार विजेता प्रोफेसर जे. बी. जोशी और डॉ. अनिरुद्ध जोशी के दिमाग की उपज है। प्रो. जोशी इंस्टिट्यूट ऑफ केमिकल टेक्नोलॉजी (पूर्व में UDCT) के चांसलर और मराठी विज्ञान परिषद के अध्यक्ष हैं। डॉ. अनिरुद्ध जोशी ने IIT बॉम्बे में छह साल से अधिक समय तक शोध के बाद इसे विकसित किया है। इस डिवाइस की कीमत 55,000 रुपये है। कंपनी वर्तमान में सालाना 5,000 नाड़ी तरंगिणी उपकरण बनाने में समर्थ है।
कंपनी को हाल ही में 5 करोड़ रुपये की सीड फंडिंग मिली है। इस फंडिंग का उपयोग आगे के शोध, वितरण नेटवर्क स्थापित करने और उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए किया जाएगा। CDSCO सर्टिफिकेशन के लिए 25,000 से अधिक व्यक्तियों की जांच की गई और एक रिपोर्ट प्रस्तुत की गई।
क्या है नाड़ी तरंगिणी?
नाड़ी तरंगिणी से नाड़ी की जांच करने पर 22 आयुर्वेदिक मानकों वाली 10 पेज की रिपोर्ट मिलती है। उपकरण यह रिपोर्ट 10 भारतीय भाषाओं में उपलब्ध करा सकता है। डॉ. जोशी ने यह भी बताया कि नाड़ी तरंगिणी की एक्यूरेसी लगभग 85 फीसदी है।
5 लाख से ज्यादा लोगों का हो चुका है टेस्ट
पिछले साल नाड़ी तरंगिणी उपकरण की सेंसिंग तकनीक और प्रक्रिया को अमेरिकी पेटेंट मिला। अमेरिकी पेटेंट के अलावा, डिवाइस को यूरोप, इंडोनेशिया और भारत के लिए भी पेटेंट प्राप्त हैं। वर्तमान में, नाड़ी तरंगिणी का इस्तेमाल देशभर के 1250 से अधिक आयुर्वेदिक क्लीनिकों में किया जा रहा है। अब तक, 5 लाख से अधिक व्यक्तियों का इस उपकरण से परीक्षण किया जा चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने 'मन की बात' कार्यक्रम में इस उपकरण का उल्लेख किया था और इसकी प्रशंसा की थी।
आयुर्वेदिक उपचार को मिलेगी नई दिशा
प्रो. जे. बी. जोशी ने कहा, 'लगभग दो दशक पहले कल्पना किए गए विचार को सरकार की मंजूरी मिलते देख मैं वास्तव में खुश हूं। यह न केवल आयुर्वेदिक उपचार को नई दिशा देगा। अलबत्ता, इसके उपयोग से आयुर्वेदिक प्रथाओं के मानकीकरण की शुरुआत भी होगी ताकि इसे लोगों के लाभ के लिए दुनिया भर में ले जाया जा सके।'
डॉ. अनिरुद्ध जोशी ने कहा, 'नाड़ी तरंगिणी उन्नत AI-संचालित पल्स डायग्नोस्टिक उपकरण है। इसे पारंपरिक आयुर्वेदिक प्रथाओं को रफ्तार देने के लिए डिजाइन किया गया है। यह अल्ट्रा-सेंसिटिव सेंसर को अत्याधुनिक एल्गोरिदम के साथ जोड़ता है। इससे सटीक पल्स रीडिंग हासिल की जा सकती है। यह पेटेंट वाला उपकरण चिकित्सकों को 22 आयुर्वेदिक मानकों का विश्लेषण करने में मदद करता है। इनमें त्रिदोष संतुलन (वात, पित्त, कफ), तनाव का स्तर और पाचन स्वास्थ्य शामिल है।'
कैसे आया आइडिया?
डॉ. जोशी ने बताया कि उनके पिता प्रो. जे. बी. जोशी को लगभग 20 साल पहले कुछ स्वास्थ्य समस्याएं थीं। पुणे के वैद्य अशोक श्रीपाद भट ने उनका सफलतापूर्वक इलाज किया। उस समय उन्होंने महसूस किया कि नाड़ी की जांच डायग्नोसिटक में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इस तरह उन्हें नाड़ी की जांच के लिए उपयुक्त चिकित्सा उपकरण विकसित करने का आइडिया आया। IIT बॉम्बे में अपने गहन शोध कार्य के दौरान उन्होंने 7 से 10 अलग-अलग सेंसर पर काम किया। इससे पहले कि वह सफलतापूर्वक एक ऐसा उपकरण विकसित कर पाते जो पीजोइलेक्ट्रिक प्रेशर सेंसर के आधार पर उंगली की स्पर्श संवेदना के बहुत करीब आता हो। यह उनकी पीएचडी का विषय भी था। चूंकि यह एक ऐसा उपकरण है जो पल्स वेव को पकड़ता है, इसलिए इसे 'नाड़ी तरंगिणी' नाम दिया गया। अब हम नाड़ी परीक्षण जैसी प्राचीन भारतीय ज्ञान परंपरा को आधुनिक उपकरण के जरिये आगे बढ़ाने में सक्षम हैं।
-Legend News
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