पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के साथ न सिर्फ सिंधु जल समझौते को रोक दिया है, बल्कि स्पष्ट संकेत दे चुका है कि अब यह समझौता इतिहास बन चुका है। ठीक इसी समय में भारत अब बांग्लादेश के साथ भी गंगा जल संधि पर फिर दोबारा विचार शुरू कर चुका है। इस संधि की मियाद अगले साल ही पूरी होने वाली है। भारत ने अभी से बांग्लादेश को यह संदेश पहुंचा दिया है कि उसे अपनी जरूरत पूरा करने लिए और पानी चाहिए।
पहले की तरह लंबी अवधि की नहीं होगी गंगा जल संधि
एक रिपोर्ट के मुताबिक विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया है कि पहले सरकार गंगा जल संधि को पहले की तरह 30 साल के लिए बढ़ाना चाहती थी। लेकिन, पहलगाम की घटना के बाद स्थिति बदल गई। मई में बांग्लादेश के अधिकारियों के साथ एक बैठक हुई थी। अधिकारी ने कहा कि यह एक सामान्य बैठक थी, जो साल में दो बार होती है। इस बैठक में भारत ने अपने लिए पानी की जरूरत के बारे में बताया। मतलब, बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस की सरकार की हालिया हरकतों ने भारत को इस देश पर भी रहम दिखाने कि जगह जियोपॉलिटिक्स की वास्तविकताओं को प्राथमिकता देने को मजबूर कर दिया है। रिपोर्ट के अनुसार अगर संधि बढ़ी भी तो पहली जितनी लंबी अवधि के लिए नहीं होगी। 
श्यामा प्रसाद मुखर्जी पोर्ट के लिए कम पड़ रहा है पानी
एक दस्तावेज के अनुसार कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट (अब श्यामा प्रसाद मुखर्जी पोर्ट, कोलकाता)तक 40,000 क्यूसेक पानी लगातार उपलब्ध कराने के लिए फरक्का बैराज बनाया गया था। अधिकारी ने कहा कि 1996 की गंगा जल संधि से यह व्यवस्था बिगड़ गई है। गंगा जल संधि के चलते पानी का बहाव कम होने के चलते पोर्ट में गाद जमा हो रही है, जिससे जहाजों को आने-जाने में परेशानी हो रही है। एनटीपीसी (NTPC) प्लांट को भी पानी की कमी का सामना करना पड़ रहा है। मौजूदा नियम के अनुसार गर्मियों के मौसम में (11 मार्च से 11 मई तक) दोनों देशों को 10-10 दिनों के लिए 35,000 क्यूसेक पानी मिलता है। लेकिन, भारत को इस दौरान 30,000 से 35,000 क्यूसेक पानी की अतिरिक्त आवश्यकता है। 
गंगा जल संधि के तहत कैसे होता है पानी का बंटवारा
1996 की गंगा जल संधि के अनुसार अगर फरक्का में पानी की उपलब्धता 70,000 क्यूसेक या उससे कम रहती है, तो दोनों देशों को आधा-आधा पानी मिलता है लेकिन अगर यह उपलब्धता 70,000 क्यूसेक से 75,000 क्यूसेक के बीच होता है तो बांग्लादेश को 35,000 क्यूसेक और भारत को बाकी हिस्सा मिलता है लेकिन अगर पानी की उपलब्धता 75,000 क्यूसेक या उससे भी ज्यादा होता है तो भारत उसका 40,000 क्यूसेक हिस्सा इस्तेमाल कर सकता है और बाकी प्रवाह बांग्लादेश को जाता है। 
मोहम्मद यूनुस की हरकतों की सजा भुगतेगा बांग्लादेश!
गंगा में ज्यादा पानी उपलब्ध होने से पश्चिम बंगाल और बिहार दोनों राज्यों को सिंचाई और पीने के लिए ज्यादा जल उपलब्ध हो सकेगा। पश्चिम बंगाल सरकार के एक अधिकारी ने भी इस जरूरत की पुष्टि की है। बांग्लादेश में पिछले साल हुए तख्तापलट के बाद मोहम्मद यूनुस सरकार के कदमों ने पहले ही भारत की चिंता बढ़ा रखी है,ऊपर से पहलगाम आतंकी हमला और पाकिस्तान के साथ यूनुस सरकार की बढ़ती साठगांठ ने भारत को फिर से सोचने पर मजबूर कर दिया है। 
-Legend News

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