मथुरा की श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद में हिंदू पक्ष की बड़ी जीत हुई है. इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला हिंदू पक्ष में आया है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की आपत्तियों को खारिज कर दिया. इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला मंदिर मस्जिद विवाद में चल रहे मुकदमों की पोषणीयता पर आया है. ऑर्डर 7 रूल 11 के तहत मुस्लिम पक्ष द्वारा की गई आपत्तियों को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज किया. हाईकोर्ट ने हिंदू पक्ष की तरफ से दाखिल किए गए 15 मुकदमों में अंतरिम फैसला सुनाया. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा हिंदू पक्ष के सभी मुकदमे सुनने लायक हैं. ये मुकदमे शाही ईदगाह मस्जिद का ढांचा हटाकर जमीन का कब्जा देने और मंदिर का पुनर्निर्माण कराने की मांग को लेकर दायर किए गए थे. पूरा विवाद मुगल सम्राट औरंगजेब के समय की शाही ईदगाह मस्जिद से जुड़ा है. इसका निर्माण भगवान कृष्ण की जन्मस्थली पर बने मंदिर को ध्वस्त करने के बाद किया गया. हिंदू पक्ष की याचिकाओं में शाही ईदगाह मस्जिद की जमीन को हिंदुओं का बताया है और वहां पूजा का अधिकार दिए जाने की मांग की है. मुस्लिम पक्ष ने वक्‍फ एक्‍ट आदि का हवाला देते हुए हिंदू पक्ष की याचिकाओं को खारिज किए जाने की दलील पेश की. अपने फैसले में हाई कोर्ट ने कहा कि मालिकाना हक को लेकर हिंदू पक्ष की याचिकाएं सुनवाई योग्‍य हैं. इन पर सुनवाई जारी रहेगी. अदालत ने मुस्लिम पक्ष की आपत्तियों को खारिज कर दिया. हाई कोर्ट के फैसले के बाद अब इस विवाद से जुड़े मामलों में ट्रायल शुरू होगा.
मुस्लिम पक्ष ने पोषणीयता को लेकर आपत्ति जताई थी. यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और शाही ईदगाह मस्जिद कमेटी ने प्लेसेस ऑफ़ वरशिप एक्ट, लिमिटेशन एक्ट, वक्फ एक्ट और स्पेसिफिक रिलीफ एक्ट से बाधित बताकर हिंदू पक्ष की सभी याचिकाओं को खारिज किए जाने की दलील पेश की थी .
इलाहाबाद हाईकोर्ट से आज आए फैसले का असर यह होगा कि हिंदू पक्ष की याचिकाओं पर हाईकोर्ट में सुनवाई जारी रहेगी. हाईकोर्ट ने इन मुकदमों को सुनवाई के योग्य माना है. जस्टिस मयंक कुमार जैन की सिंगल बेंच ने फैसला सुनाया. इन 15 याचिकाओं पर सुनवाई पूरी होने के बाद हाईकोर्ट ने 31 मई को अपना जजमेंट रिजर्व कर लिया था. अगली सुनवाई 12 अगस्त को होगी. इलाहाबाद हाईकोर्ट से आज आए फैसले का असर यह होगा कि हिंदू पक्ष की याचिकाओं पर हाईकोर्ट में सुनवाई जारी रहेगी.हाईकोर्ट ने इन मुकदमों को सुनवाई के योग्य माना है. 
हिंदू पक्षकारों की दलील
ईदगाह का पूरा ढाई एकड़ एरिया श्रीकृष्‍ण विराजमान का गर्भगृह है।
शाही ईदगाह मस्जिद कमेटी के पास भूमि का कोई ऐसा रेकॉर्ड नहीं है।
श्रीकृष्‍ण मंदिर तोड़कर शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण किया गया है।
बिना स्‍वामित्‍व अधिकार के वक्‍फ बोर्ड ने बिना किसी वैध प्रक्रिया के इस भूमि को वक्‍फ संपत्ति घोषित कर दिया है।

मुस्‍लिम पक्षकारों की दलील
मुस्लिम पक्षकारों की दलील है कि इस जमीन पर दोनों पक्षों के बीच 1968 में समझौता हुआ है। 60 साल बाद समझौते को गलत बताना ठीक नहीं है। लिहाजा मुकदमा चलने योग्‍य नहीं है।
उपासना स्‍थल कानून यानि प्‍लेसेज ऑफ वर्शिप एक्‍ट 1991 के तहत भी मुकदमा सुनवाई योग्‍य नहीं है।
15 अगस्‍त, 1947 के दिन जिस धार्मिक स्‍थल की पहचान और प्रकृति जैसी है वैसी ही बनी रहेगी। यानी उसकी प्रकृति नहीं बदली जा सकती है।

-Legend News

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