सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के बाद बृहस्पतिवार को तीन मुद्दों पर अपना अंतरिम आदेश सुरक्षित रख लिया। जिसमें अदालतों द्वारा वक्फ, वक्फ बाई यूजर या वक्फ बाई डीड घोषित संपत्तियों को गैर-अधिसूचित करने की शक्ति भी शामिल है। 
मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की पीठ ने अंतरिम आदेश सुरक्षित रखने से पहले करीब तीन दिन तक वरिष्ठ अधिवक्ताओं कपिल सिब्बल, राजीव धवन और अभिषेक मनु सिंघवी की दलीलें सुनीं, जो संशोधित वक्फ कानून के विरोध में याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सरकार का पक्ष रखा। 
केंद्र ने इस अधिनियम का दृढ़ता से समर्थन करते हुए कहा कि वक्फ अपनी प्रकृति से ही एक धर्मनिरपेक्ष अवधारणा है और संवैधानिकता की धारणा के इसके पक्ष में होने के मद्देनजर इस पर रोक नहीं लगाई जा सकती। वहीं, याचिकाकर्ताओं की पैरवी कर रहे सिब्बल ने इस कानून को “ऐतिहासिक कानूनी और संवैधानिक सिद्धांतों से पूर्ण विचलन” तथा “गैर-न्यायिक प्रक्रिया के माध्यम से वक्फ पर कब्जा करने” का जरिया बताया। सिब्बल ने कहा, यह वक्फ संपत्तियों पर सुनियोजित तरीके से कब्जा करने का मामला है। सरकार यह तय नहीं कर सकती कि कौन से मुद्दे उठाए जा सकते हैं। 
जानें सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
हालांकि इस पर कोर्ट ने कहा कि धार्मिक दान केवल इस्लाम तक सीमित नहीं है। चीफ जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि हिंदू धर्म में भी मोक्ष है। दान अन्य धर्मों की भी एक मौलिक अवधारणा है। इसी तरह पीठ के दूसरे जज जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह ने ईसाई धर्म में इसी प्रकार के प्रावधान का उल्लेख किया और कहा, "हम सभी स्वर्ग में जाने की कोशिश कर रहे हैं।
इस समय याचिकाकर्ताओं ने तीन अहम मुद्दों पर अंतरिम राहत की मांग की है
पहला मुद्दा “अदालतों द्वारा वक्फ, वक्फ बाई यूजर या वक्फ बाई डीड” घोषित संपत्तियों को गैर-अधिसूचित करने की शक्ति से जुड़ा हुआ है।
दूसरा मुद्दा राज्य वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद की संरचना से संबंधित है। याचिकाकर्ताओं की दलील है कि पदेन सदस्यों को छोड़कर केवल मुसलमानों को ही राज्य वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद में काम करना चाहिए।
तीसरा मुद्दा उस प्रावधान से जुड़ा है, जिसमें कहा गया है कि जब कलेक्टर यह पता लगाने के लिए जांच करते हैं कि संपत्ति सरकारी भूमि है या नहीं, तो वक्फ संपत्ति को वक्फ नहीं माना जाएगा।
25 अप्रैल को केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने संशोधित वक्फ अधिनियम, 2025 के पक्ष में 1,332 पृष्ठों का प्रारंभिक हलफनामा दाखिल किया था और अदालत से इस कानून पर "पूर्ण रोक" लगाने से इनकार करने का अनुरोध किया था। केंद्र सरकार ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की 5 अप्रैल को मंजूरी मिलने के बाद अप्रैल में वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को अधिसूचित किया।यह विधेयक लोकसभा में 288 सदस्यों के समर्थन से पारित हुआ, जबकि 232 सांसदों ने इसका विरोध किया। राज्यसभा में 128 सदस्य इसके पक्ष में और 95 इसके खिलाफ थे। 
-Legend News

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