कर्मचारियों के बीच नस्लीय भेदभाव से जुड़े एक मुकदमे को समाप्त करने के लिए गूगल ने 2.8 करोड़ डॉलर (242.43 करोड़ रुपये) का हर्जाना देना मंजूर कर लिया है.
मुकदमा करने वालों का कहना है कि गोरे और एशियाई कर्मचारियों के मुकाबले अन्य नस्लीय पृष्ठभूमि के कर्मचारियों को कम वेतन और करियर के कम मौके दिए जाते हैं.
दुनिया की सबसे बड़ी टेक्नोलॉजी कंपनी ने "समझौते पर पहुंचने" की पुष्टि की है हालांकि उसने अपने ऊपर लगे आरोपों से इंकार किया है.
यह मुकदमा 2021 में गूगल की पूर्व कर्मचारी अना कैंटू ने दायर किया था. इसमें आरोप लगाया गया था कि हिस्पैनिक, लैटिनो, नेटिव अमेरिकन और अन्य पृष्ठभूमि के कर्मचारियों ने गोरे और एशियाई मूल के अपने समकक्षों के मुक़ाबले कम तनख्वाहों और निचले पदों पर नौकरी शुरू की.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक़ यह मुकदमा 15 फ़रवरी 2018 और 31 दिसंबर 2024 के बीच गूगल की ओर से भर्ती किए गए कम से कम 6,632 लोगों के लिए दायर किया गया था.
इससे पहले इस साल की शुरुआत में गूगल उन अमेरिकी कंपनियों में शामिल हो गया जो अपनी भर्ती नीति में डाइवर्सिटी, इक्विटी और इनक्लूजन (डीईआई) प्रोग्राम के प्रति अपनी प्रतिबद्धता से पीछे हट गईं.
डीईआई प्रोग्राम से पीछे हटने वाली कंपनियों में मेटा, अमेजॉन, पेप्सी, मैकडोनाल्ड्स और वॉलमार्ट जैसी दिग्गज कंपनियां हैं.
यह ऐसे समय हुआ है जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके सहयोगी डीईआई नीतियों पर लगातार हमला कर रहे हैं. 
-Legend News

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