नई द‍िल्ली। भारत के कपड़ों के निर्यात में अच्छी बढ़त दिख रही है। उद्योग संगठन CITI के आंकड़ों के अनुसार मई में कपड़ों का निर्यात 11.3% बढ़ा है। पश्चिमी देशों के खरीदार अब बांग्लादेश और चीन के बजाय भारत को ज्यादा भरोसेमंद मान रहे हैं। इसलिए भारत के निर्यात को बढ़ावा मिल रहा है।

पिछले साल अगस्त में बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार बदलने से राजनीतिक अस्थिरता हुई थी। इकोनॉमिक टाइम्स के अनुसार इस वजह से कपड़ों का निर्यात और भी तेजी से बढ़ा। सितंबर में निर्यात 17.3% और अक्टूबर में 24.35% तक बढ़ गया। विकसित देशों के कई खरीदार भारतीय सप्लायरों पर दबाव डाल रहे हैं कि वे अपनी क्षमता बढ़ाएं और जरूरी सर्टिफिकेट लें। डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन की ओर से लगाए गए टैरिफ के कारण भारत को चीन पर ड्यूटी का फायदा मिलेगा।

इंडस्ट्री के लिए बड़ी राहत
कपड़ा उद्योग के लिए निर्यात में यह उछाल एक बड़ी राहत है। कोरोना महामारी के बाद से यह उद्योग दो साल से कमजोर चल रहा था। इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स की राष्ट्रीय कपड़ा समिति के अध्यक्ष संजय के जैन ने कहा कि कोविड के बाद भारत के कपड़ों के निर्यात में गिरावट आई थी। क्योंकि लोगों ने कोविड के दौरान ज्यादा कपड़े खरीद लिए थे, इसलिए वे नए कपड़े कम खरीद रहे थे। कोविड के बाद लगभग दो साल तक ठहराव या गिरावट रही।

उथल-पुथल का मिला फायदा
बांग्लादेश में सरकार बदलने और राजनीतिक उथल-पुथल के बाद उद्योग में सुधार के संकेत दिखने लगे। उद्योग के नेताओं का कहना है कि कपड़ों की सप्लाई एक लगातार चलने वाली प्रक्रिया है। इसलिए खरीदार सप्लाई चेन में किसी तरह की अनिश्चितता नहीं चाहते हैं।

बनी रहेगी गति
बांग्लादेश के कपड़ा निर्माताओं के पास बहुत बड़ी क्षमता है। वे कम समय में बड़े ऑर्डर पूरा कर सकते हैं। जबकि भारतीय निर्माताओं की क्षमता इतनी ज्यादा नहीं है।

भारतीय उद्योग को उम्मीद है कि चीन पर ड्यूटी का फायदा मिलने से निर्यात की गति बनी रहेगी। जैन ने कहा कि भारतीय कपड़ा निर्यातकों के लिए एक बड़ा मौका है। अमेरिका का 120 अरब डॉलर का बाजार सबसे बड़ा अवसर है। हमें बस कच्चा माल प्रतिस्पर्धी दरों पर मिलना चाहिए।
- Legend News

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