लखनऊ। किसानों की आमदनी को बढ़ाने और बागवानी फसलों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश और भारत सरकार ने एकीकृत बागवानी विकास मिशन के तहत नई पहल की है. अब तक सिर्फ 35 जिलों में मिलने वाला ड्रैगन फ्रूट और स्ट्रॉबेरी की खेती पर अनुदान अब सभी जिलों के किसानों को मिलेगा.

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी ऑपरेशनल गाइडलाइंस के अनुसार, किसानों को सरकार द्वारा वित्तीय सहायता दी जाएगी. स्ट्रॉबेरी की खेती प्रति हेक्टेयर 2 लाख रुपये की लागत निर्धारित, जिसमें 40 फीसदी यानी 80,000 रुपये का अनुदान मिलेगा. ड्रैगन फ्रूट की खेती में सपोर्ट सिस्टम सहित 6.75 लाख प्रति हेक्टेयर की लागत पर 40 फीसदी अनुदान दिया जाएगा. अंगूर की खेती में सपोर्ट सिस्टम सहित 3 लाख/हेक्टेयर की लागत पर किसानों को 40 फीसदी सब्सिडी मिलेगी.

ऐसे मिलेगा अनुदान
इस योजना का लाभ उठाने के लिए किसानों को उत्तर प्रदेश हॉर्टिकल्चर विभाग की वेबसाइट पर पंजीकरण कराना होगा. आवेदन के लिए आधार कार्ड, खसरा-खतौनी, बैंक पासबुक, मोबाइल नंबर की आवश्यकता होगी. रजिस्ट्रेशन के बाद किसानों को जिला कृषि अधिकारी कार्यालय में आवश्यक दस्तावेज जमा करने होंगे. कृषि अधिकारियों द्वारा खेत का निरीक्षण करने और पौधों की स्थिति की जांच के बाद ही दो किस्तों में अनुदान जारी किया जाएगा. पहली किस्त पौधरोपण के समय मिलेगी, जबकि दूसरी अगले वर्ष तभी जारी होगी जब 80 फीसदी पौधे जीवित पाए जाएंगे.

प्रशिक्षण के साथ दी जाएगी पूरी जानकारीः राज्य सरकार हर जिले में प्रशिक्षण केंद्र स्थापित करेगी, जहां इच्छुक किसानों को ड्रैगन फ्रूट और स्ट्रॉबेरी की उन्नत खेती के लिए ट्रेनिंग दी जाएगी. जिला कृषि अधिकारी किसानों को नई तकनीकों से अवगत कराकर उन्हें सफल खेती के लिए प्रेरित करेंगे. ड्रैगन फ्रूट्स के पौधे और स्ट्रॉबेरी के बीज के बारे में भी जानकारी दी जाएगी. यह भी बताया जाएगा की किस जिले के किसान कहां से आसानी से बीज और पौधे ला सकते हैं.

जारी होगी गाइडलाइन
एकीकृत बागवानी विकास मिशन के नोडल अधिकारी पंकज कुमार ने बताया कि अप्रैल 2025 उत्तर प्रदेश के 75 जनपदों के लिए गाइडलाइन जारी कर दी जाएगी, जिसके बाद किसान आधिकारिक रूप से इस योजना का लाभ उठा सकेंगे. उन्होंने कहा कि कृषि मंत्रालय का मानना है कि इस योजना से न केवल किसानों की आय दोगुनी होगी, बल्कि बागवानी फसलों को भी बढ़ावा मिलेगा. ड्रैगन फ्रूट और स्ट्रॉबेरी जैसी उच्च मूल्य वाली फसलें किसानों को परंपरागत खेती की तुलना में बेहतर मुनाफा दिलाने में सहायक होंगी.

- Legend News

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