रिपोर्ट : LegendNews
संस्कृति विवि में राष्ट्रीय संगोष्ठी के दौरान विशेषज्ञों ने बताई एआई की उपयोगिता
मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय के संतोष सभागार में "भविष्य के व्यवसायों के लिए एआई का लाभ उठाने" पर एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया। संगोष्टी में उद्योग जगत के लीडर, शिक्षाविदों ने छात्र व्यवसाय के भविष्य को आकार देने में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की परिवर्तनकारी क्षमता पर विचार व्यक्त किए और संभावनाओं को बताया। संगोष्ठी के माध्यम से प्रतिभागियों को नेटवर्क बनाने और साथी पेशेवरों के साथ जुड़ने का अवसर मिला।
संस्कृति विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ. सचिन गुप्ता ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंसी(एआई) हमारे जीवन के हर क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव ला रही है। विशेष रूप से औद्योगिक क्षेत्र में इसके असीमित उपयोग को लेकर अनेक प्रयोग हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि किस प्रकार एआई के माध्यम से उद्योगों को नया आकार दिया जा रहा है और किस प्रकार यह आर्थिक विकास को गति देने और आने वाले दशकों में नए व्यावसायिक अवसर पैदा करने के लिए उपयोगी है।
संस्कृति विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एम. बी. चेट्टी ने अपने स्वागत भाषण में शिक्षा और नवाचार को आगे बढ़ाने के लिए विश्वविद्यालय की प्रतिबद्धता का संक्षिप्त विवरण दिया और आधुनिक व्यावसायिक प्रथाओं में एआई के महत्व पर प्रकाश डाला। ओएनजीसी त्रिपुरा के प्रबंध निदेशक सानिल नंबूदरीपाद ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि संचालन को अनुकूलित करने, उत्पादकता बढ़ाने और सभी क्षेत्रों में नवाचार को बढ़ावा देने में एआई की महत्वपूर्ण भूमिका है। संगोष्ठी में आईआईटी कानपुर में इन्फ्रास्ट्रक्चर और प्लानिंग के डीन प्रोफेसर जे. राम कुमार ने व्यापार और उद्योग में एआई की परिवर्तनकारी भूमिका पर अपने दृष्टिकोण साझा किए और पारंपरिक व्यापार मॉडल में क्रांति लाने की इसकी क्षमता को विस्तार से बताया।
नीलसनआईक्यू, शिकागो, यूएसए के कार्यकारी निदेशक मनीष बथवाल ने वैश्विक स्तर पर इस्तेमाल हो रहीं एआई रणनीतियों पर चर्चा करते हुए बताया कि कैसे दुनिया भर के व्यवसाय नवाचार और प्रतिस्पर्धी लाभ के लिए एआई प्रौद्योगिकियों का लाभ उठा रहे हैं। सेमिनार के उत्तरार्ध में, गोविंद बल्लभ पंत विश्वविद्यालय, पंतनगर के प्रोफेसर डॉ. पी.के. सिंह ने कृषि और ग्रामीण व्यापार क्षेत्रों पर एआई के प्रभाव और इन महत्वपूर्ण क्षेत्रों को आधुनिक बनाने और दक्षता में सुधार करने में एआई कैसे मदद कर सकती है, बताया।
सेमिनार का समापन संस्कृति विश्वविद्यालय के इंक्युबेशन सेंटर के सीईओ डॉ. गजेंद्र सिंह के धन्यवाद प्रस्ताव के साथ हुआ। उन्होंने कार्यक्रम की सफलता में सभी वक्ताओं, उपस्थित लोगों और आयोजकों के प्रति आभार व्यक्त किया। संगोष्ठी के दौरान गणमान्य व्यक्तियों का सम्मान किया गया, जहां विशिष्ट अतिथियों और वक्ताओं को स्मृति चिन्ह भेंट किए गए।
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