मथुरा। इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश राम मनोहर नारायण मिश्र की खंडपीठ ने शुक्रवार को मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद को विवादित ढांचा घोषित करने के मामले में अपना निर्णय सुरक्षित कर लिया। अब चार जुलाई को हाईकोर्ट का आदेश आयेगा। 

हिंदू पक्षकार महेंद्र प्रताप सिंह एडवोकेट ने मासरे आलम गिरी से लेकर मथुरा के कलेक्टर रहे एफएस ग्राउस तक के समय में लिखी गई इतिहास की पुस्तकों का हवाला देते हुए कोर्ट के समक्ष कहा कि वहां पहले मंदिर था, वहां पर मस्जिद होने का कोई साक्ष्य आज तक शाही ईदगाह मस्जिद पक्ष न्यायालय में पेश नहीं कर सका। न ही खसरा-खतौनी में मस्जिद का कहीं भी नाम है। न नगर निगम में उसका कोई रिकॉर्ड। न कोई टैक्स दिया जा रहा। यहां तक कि बिजली चोरी की रिपोर्ट भी शाही ईदगाह प्रबंध कमेटी के खिलाफ भी हो चुकी है, फिर इसे मस्जिद क्यों कहा जाए। इसलिए  मस्जिद को विवादित ढांचा घोषित किया जाए।

बहस के दौरान खास बात ये रही कि सभी हिन्दू पक्षकारों ने महेंद्र प्रताप सिंह की ही दलीलों का समर्थन किया।

श्रीकृष्ण जन्मभूमि एवं शाही ईदगाह मस्जिद केस के मंदिर पक्षकार महेंद्र प्रताप सिंह एडवोकेट ने हाईकोर्ट में 5 मार्च 2025 को मथुरा स्थित शाही ईदगाह मस्जिद को विवादित ढांचा घोषित किए जाने की मांग करते हुए प्रार्थना पत्र दाखिल किया था। 
आज इसी प्रार्थना पत्र पर न्यायाधीश  राम मनोहर नारायण मिश्र के न्यायालय में बहस पूर्ण हो गई। महेंद्र प्रताप सिंह एडवोकेट ने कोर्ट में मासरे आलम गिरी से लेकर मथुरा के कलेक्टर रहे एफएस ग्राउस  तक लिखी गई इतिहास की पुस्तकों में मंदिर तोड़कर बनाई गई मस्जिद के सभी साक्ष्यों  को रखा और कहा क‍ि जिसे मस्जिद कहा जा रहा है, उस की  दीवारों पर हिंदू देवी देवताओं के प्रतीक चिह्न मौजूद है। 

महेंद्र प्रताप सिंह एडवोकेट ने कोर्ट को बताया क‍ि भारतीय पुरातत्व विभाग के सर्वेक्षण में यह सब स्पष्ट हो जाएगा। उन्होंने मुकद्दमा की प्रकृति को कोर्ट के समस्त प्रस्तुत करते हुए कहा कि किसी क‍ि जमीन पर अतिक्रमण करके बैठ जाने से है, वह जमीन उसकी नहीं हो सकती। उन्होंने कोर्ट को बताया कि जो प्रकरण अयोध्या में राम मंदिर और बाबरी मस्जिद का था ठीक भाई मामला मथुरा में भगवान श्री कृष्ण की जन्मभूमि का है। न्यायालय ने अयोध्या मामले में अपना निर्णय देने से पहले बाबरी मस्जिद को विवादित ढांचा घोषित किया था इसलिए मस्जिद को भी विवादित ढांचा घोषित किया जाए। 

वादी महेंद्र प्रताप सिंह एडवोकेट ने न्यायालय को यह भी अवगत कराया क‍ि इस संबंध में सभी साक्ष्य पहले ही प्रस्तुत कर चुके हैं और जितने भी विदेशी यात्री भारत आए, उन सभी ने यहां भगवान का मंदिर बताया, किसी ने भी वहां मस्जिद होने का जिक्र नहीं किया। उनका कहना था कि औरंगजेब ने मंदिर को तोड़ा था। इस बात को मस्जिद पक्ष भी जनता है, और आज भी स्वीकार कर रहा है। इससे साफ है कि जबरदस्ती से  मंदिर की भूमि पर अतिक्रमण किया गया है। महेंद्र प्रताप सिंह एडवोकेट की दलीलों का अन्य हिंदू पक्षकारों ने भी न्यायालय में समर्थन किया। इसके बाद न्यायालय अपने ऑर्डर को रिजर्व कर लिया। महेंद्र प्रताप सिंह एडवोकेट ने बताया कि चार जुलाई को कोर्ट का निर्णय आयेगा। बहस आज पूरी हो गई।
- Legend News

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