रिपोर्ट : LegendNews
CCPA ने ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स से कहा, डार्क पैटर्न्स जैसी गतिविधियों से बाज आएं
अगर आप ऑनलाइन शॉपिंग करते हैं तो यह खबर आपके लिए काफी जरूरी है। कंज्यूमर अफेयर्स मिनिस्ट्री ने रोजमर्रा की चीजों की खरीदारी से लेकर एयर ट्रैवल तक, ऑनलाइन शॉपिंग करने वाले उपभोक्ताओं को झांसा देने की हरकतों पर लगाम कसने की दिशा में एक और कदम बढ़ा दिया है। मिनिस्ट्री के तहत काम करने वाली सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी (CCPA) ने ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स से कहा है कि वे डार्क पैटर्न्स जैसी अनुचित गतिविधियों से बाज आएं।
डार्क पैटर्न्स का मतलब है, वेबसाइट पर इस्तेमाल किए जाने वाले ऐसे तरीके जो ग्राहकों को धोखे में डालकर कुछ खरीदने या साइन अप करने के लिए मजबूर करते हैं। ये तरीके ग्राहकों को वो काम करने के लिए फंसाते हैं जो वो करना नहीं चाहते। CCPA ने उनसे कहा है कि वे 3 महीने के भीतर अपने यहां डार्क पैटर्न्स का ऑडिट करें और यह सेल्फ डिक्लेरेशन करें कि लोगों को झांसा देने वाली ऐसी कोई भी चीज उनके यहां नहीं है।
गाइडलाइंस का पालन करने के निर्देश
कंज्यूमर अफेयर्स सेक्रेटरी निधि खरे की अध्यक्षता वाले CCPA ने इन प्लेटफॉर्म्स से कहा है कि वे डार्क पैटर्न्स के खिलाफ 2023 की गाइडलाइंस का पालन करें। मंत्रालय ने इस समस्या से निपटने के लिए एक जॉइंट वर्किंग ग्रुप भी बना दिया है, जिसमें इंडस्ट्री के लोगों को भी रखा गया है।
इससे पहले 28 मई को कंज्यूमर अफेयर्स मिनिस्टर प्रह्लाद जोशी ने 50 से अधिक ई-कॉमर्स कंपनियों के साथ मीटिंग की थी और उन्हें साफ शब्दों में कहा था कि वे या तो दिशानिर्देशों का पालन करें या फिर सरकार के एक्शन के लिए तैयार रहें। उस बैठक में अमेजन, एपल, जेप्टो, Booking.com, ओला इलेक्ट्रिक, टाटा डिजिटल, इंडिगो एयरलाइंस, नेटमेड्स, रिलायंस रिटेल, रैपिडो, स्विगी, उबर, थॉमस कुक, गूगल, फ्लिपकार्ट, पेटीएम के अलावा मेटा, मास्टरकार्ड, स्नैपडील, ओएनडीसी, ब्लिंकिट और जोमैटो जैसी कंपनियों के अधिकारी शामिल हुए थे।
13 तरह के डार्क पैटर्न्स की पहचान
सीसीपीए ने अपनी गाइडलाइंस में 13 तरह के डार्क पैटर्न्स की पहचान की थी। इनमें बास्केट स्नीकिंग, कन्फर्म शेमिंग, फोर्स्ड एक्शन, सब्सक्रिप्शन ट्रैप, इंटरफेस इंटरफेरेंस, बेट एंड स्विच, ड्रिप प्राइसिंग और ट्रिक वर्डिंग जैसी हरकतों का जिक्र किया था।
फिर भी कई कंपनियां ऑनलाइन शॉपिंग करने वाले उपभोक्ता के सामने झूठी जरूरत का माहौल बनाने, उसकी ऑनलाइन शॉपिंग कार्ट में घुमा फिराकर एक्स्ट्रा आइटम जोड़ देने या डोनेशन की रिक्वेस्ट करने और कोई प्रोडक्ट या सर्विस लेने के लिए दबाव बनाने की कन्फर्म शेमिंग जैसी ट्रिक अपना रही हैं, जिसके चलते लोग ऐसी चीजें या सेवाएं भी खरीद लेते हैं, जिनकी उन्हें दरअसल जरूरत नहीं होती। मंत्रालय ने इस बारे में 11 नोटिस किए हैं।
उपभोक्ता मामलों के विभाग ने संबंधित मंत्रालयों, रेगुलेटरों, वॉलंटरी कंज्यूमर ऑर्गनाइजेशंस और नेशनल लॉ यूनिवर्सिटीज के लोगों को शामिल करते हुए एक जॉइंट वर्किंग ग्रुप भी बनाया है। यह ग्रुप ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स पर डार्क पैटर्न के नियमों के उल्लंघन पर नजर रखेगा और विभाग को जानकारी देगा।
-Legend News
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